

अक्सर ऐसा होता है कि तमाम पूजा-पाठ के बाद भी जिंदगी की परेशानियां कम नहीं होती। क्या आप जानते हैं कि इसका कारण पूजा में कमी नहीं बल्कि गलत स्थान पर बना पूजा स्थल हो सकता है? जी हां, वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर किसी के घर में पूजा घर गलत जगह पर हो तो उससे जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। वहीं, सही दिशा में बना पूजारू घर में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। चलिए आपको बताते हैं कि वास्तु के अनुसार, पूजाघर बनाने की सही दिशा…
सीढ़ियों के नीचे
वास्तु शास्त्र कहता है कि कभी भी सीढ़ियों के नीचे मंदिर नहीं बनाना चाहिए। इससे ना सिर्फ धन हानि होती है बल्कि परिवार के सदस्यों को मानसिक परेशानी का सामना भी करना पड़ता है।
बाथरूम के बगल में
पूजाघर कभी भी बाथरूम के पास न बनाएं क्योंकि इससे भी व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कालकोठरी में ना बनाएं मंदिर
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि बेसमेंट में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। इससे आप आए दिन किसी न किसी मुसीबत की चपेट में आते रहते हैं।
शयनकक्ष में मंदिर न बनाएं
वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी शयनकक्ष में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। लेकिन अगर कोई मजबूरी हो तो मंदिर के चारों ओर पर्दे लगा दें।
इन बातों का रखें ध्यान
– पूजा करते समय दिशा का ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा न करें।
– वास्तु के अनुसार पूजा घर में सफेद, क्रीम पीला, हल्का नीला और नारंगी रंग का ही प्रयोग करना चाहिए।
– ध्यान रखें कि भगवान की तस्वीर या मूर्ति कभी भी नैऋत्य कोण में नहीं रखनी चाहिए।
जा घर में सफेद, पीला, हल्का नीला और नारंगी जैसे रंगों का चयन कर सकते हैं।
– वास्तु के अनुसार घर में अगरबत्ती और घी जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
-पूजाघर में देवी-देवताओं की टूटी हुई मूर्तियां रखने से बचना चाहिए। खंडित मूर्तियों को बहते पानी में विसर्जित कर दें या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।