हिंदू धर्म का पवित्र महीना सावन बेहद पवित्र माना जाता है क्योंकि इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस समय भारत में वर्षा ऋतु होती है, ऐसे में प्रकृति में चारों ओर हरियाली होती है लेकिन इस दौरान अपनी सेहत का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी होता है। आयुर्वेद में अक्सर सावन के महीने में अपनी सेहत का खास ख्याल रखने को कहा जाता है। आयुर्वेद की मानें तो इस मौसम में दही और कढ़ी खाने की मनाही होती है। कुछ चीजों को न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। चलिए आपको बताते हैं कि इस मौसम में दही और कढ़ी क्यों नहीं खानी चाहिए…
ना खाएं हरी सब्जियां
आयुर्वेद की पारंपरिक औषधीय प्रणाली 4 मौसमों पर आधारित होते हैं। इसके अनुसार, श्रावण और भादो महीनों के दौरान जब वात तीव्र होता है, उसी महीने में पित्त कार्य विकसित होने लगते हैं। इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं इसलिए इन महीनों में दही, कढ़ी और हरी सब्जियों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
दही से भी रखें परहेज
आयुर्वेद के अनुसार, श्रावण के महीने में वात बढ़ता है इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात बढ़ाने वाले सभी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। वहीं, बरसात के मौसम में दही या इसके उत्पादों में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं, दही में प्रोटीन अधिक होता है और इसकी तासीर ठंडी होती है जबकि बारिश के मौसम में गर्म, ताजा भोजन करने की सलाह दी जाती है।
इसलिए करें कढ़ी से तौबा
वहीं, बेसन भी ठंडा और पचाने में मुश्किल होता है इसलिए इसे खाने की मनाही होती है। इसके अलावा इस मौसम में पाचन और इम्यूनिटी भी अधिक धीमी हो जाती है इसलिए सावन माह में इससे बचने की सलाह दी जाती है।