

उत्तर प्रदेश (EXClUSIVE): आगामी होली उत्सव से पहले ही बरसाना और नंदगांव लट्ठमार होली के रंग में रंग गए हैं। लट्ठमार होली, जिसका सीधे अनुवाद में अर्थ है “लाठियों और रंगों का त्योहार”। बरसाना और नंदगांव में लठमार होली उत्सव शहर का मुख्य आकर्षण है। ये स्थान भगवान कृष्ण और राधा रानी से जुड़े हुए माने जाते हैं। नंदगांव और बरसाना में होली का उत्सव 17 मार्च 2024 से शुरू हो गया है।
लठमार होली क्यों मनाई जाती है?
लठमार होली नंदगांव और बरसाना में बृजवासियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, जोकि भगवान कृष्ण और राधा रानी से संबंधित है। किंवदंती है कि भगवान कृष्ण नंदगांव में रहते थे और वह मस्ती और शरारतों से भरे हुए थे। वह होली के दौरान राधा रानी और उनकी सहेलियों को रंग देना चाहते थे।
मगर, जब वह और उसके दोस्त राधा रानी के घर बरसाना पहुंचे, तो उनकी मुलाकात राधा रानी और उनकी सहेलियों से हुई। उन्होंने लाठियों से खेल-खेल में भगवान श्री कृष्ण और उनके साथियों को बरसाना से भगा दिया। तभी से प्रथा बन गई।
लट्ठमार होली कैसे मनाया जाता है?
नंदगांव के पुरुष हर साल होली के त्योहार के अवसर पर बरसाना आते हैं, जहां उनकी मुलाकात लाठियां लिए हुए महिलाओं से होती है। वह खेल-खेल में उन्हें पीटती हैं और पुरुष खुद को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं।
इस दौरान महिलाएं जीवंत साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुष पारंपरिक पोशाक पहनते हैं। महिलाएं गीतों के साथ उत्तर देती हैं जिनमें भगवान कृष्ण द्वारा राधा रानी को चिढ़ाने का वर्णन होता है, जबकि पुरुष क्षेत्रीय भाषा में गीत प्रस्तुत करते हैं। अगले दिन, बरसाना के पुरुष नंदगांव जाते हैं और महिलाओं को रंगीन पानी में डुबाकर उन्हें रंगों से रंगने का प्रयास करते हैं। महिलाएं लाठियों से खुद को बचाने का प्रयास करती हैं।