Friday, November 15, 2024
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3 या 4 अप्रैल कब मनाई जाएगी महावीर जयंती? जानिए स्वामी जी के पंचशील सिद्धांत

जालंधर (TES): भारत देश के लोग कई धर्म, जाति, संस्कृति को मानते हैं। ऐसे में यहां सालभर कोई न कोई पर्व व शुभ तिथि आती रहती है। वहीं अब जैन धर्म के गुरु भगवान महावीर स्वामी की जयंती आने में कुछ दिन ही बाकी है। बता दें, महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में से 24वें तीर्थकर माने गए हैं। कहा जाता है कि उनका जन्म बिहार में 599 ईसा पूर्व हुआ था। कहा जाता है कि स्वामी जी ने 30 साल की उम्र में ही सन्यास ले लिया था। जैन धर्म के लोग इनकी जयंती को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में भगवान महावीर जी की जयंती की तारीख, पूजा व उसके पंचशील सिद्धांतों के बारे में बताते हैं…

इस दिन मनाई जाएगी महावीर जयंती

ज्योतिषशास्त्र अनुसार, हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बता दें, इस बात महावीर जयंती 03 अप्रैल 2023 की सुबह 6.24 बजे से अगले दिन 04 अप्रैल 2023 की सुबह 8.05 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदय तिथि 04 अप्रैल होने से इस पर्व को इसी दिन मनाया जाएगा। जानकारी के लिेए बता दें, इस साल ये भगवान महावीर का मनाया जाने वाला 2,621वां प्रकाश उत्सव यानी जन्मदिवस है।

महावीर जयंती 2023 पूजा

देशभर में महावीर जयंती की अलग ही धूम देखने को मिलती है। इसे खासतौर पर जैन धर्म के लोग मनाते हैं। इस खास दिन पर लोग कई अनुष्ठानों को मनाते हैं। इस दौरान देशभर में शोभायात्राएं भी निकलती है, जिसमें बेहद रौनक होती है। भगवान महावीर को अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि महावीर भगवान ने कड़ी तपस्या के बाद अपनी इंद्रियों को काबू कर लिया था।

चलिए अब जानते हैं भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत

भगवान महावीर द्वारा बताए पंचशील सिद्धांतों का हर किसी को पालन करना चाहिए। इन सिद्धांतों से व्यक्ति को सच्चा व अच्छा जीवन जीने में प्रेरणा मिलती है।

सत्य

महावीर भगवान का पहला सिद्धांत सत्य है। उनका कहना है कि जीवन में भले कोई भी स्थिति क्यों न आ जाए व्यक्ति को हमेशा सच का साथ ही देना चाहिए।

अहिंसा

महावीर भगवान ने अपने भक्तों को हिंसा की जगह अहिंसा का मार्ग अपने को कहा है। उनके कहना है कि हम अपनी मधुर वाणी से किसी भी लड़ाई को जीत सकते हैं।

अपरिग्रह

उनके मुताबिक मनुष्य को जीवन में किसी भी वस्तु से लगाव नहीं रखना चाहिए। वक्त आने पर व्यक्ति को अपनी प्रिय से प्रिय चीज का त्याग करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

ब्रह्मचर्य

भगवान महावीर के सिद्धांत अनुसार, व्यक्ति को विलासिता से दूर रहकर ब्रहमचर्य का ही पालन करना चाहिए। वहीं जो लोग विवाहित हैं उन्हें अपने साथी के साथ अच्छा संबंध बनाना चाहिए। वे साथी के साथ हमेशा वफादार रहने की प्रेरणा देते हैं।

क्षमा

महावीर भगवान का कहने के लिए व्यक्ति के अंदर क्षमा की भावना होनी बेहद जरूरी है। इसके लिए उन्होंने सभी व्यक्तियों को एक-दूसरे के साथ मित्रतापूर्व भाव रखने को कहा है। उनका मानना के ही किसी के प्रति मन में गलत भावना रखने की जगह उनकी गलती पर उन्हें माफ करने में ही भलाई है।

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