

अयोध्या (TES): गोस्वामी तुलसीदास के राम सौंदर्य, मर्यादा और शक्ति के ऐसे प्रतिरूप हैं, जिसकी समानता किसी से नहीं की जा सकती है। वहीं अब राम के ऐसे ही रूप को मूर्ति में ढालने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि के गर्भगृह में विराजमान होने वाली रामलला की प्रतिमा के लिए ट्रस्ट ने अपनी कोशिशे और भी अधिक कर ली है। बता दें, विशेेषज्ञों का पैनल रामलला के बालस्वरूप की प्रतिमा को आकार देने का काम करेगा।
अब मंदिर के वास्तु के साथ राम की प्रतिमा के सुझावों को लेकर मंथन होगा
मंदिर निर्माण समिति की बैठक में मंदिर के वास्तु पर मंथन के साथ रामलला की प्रतिमा के बारे में आने वाले सुझावों पर भी मंथन हुआ। बता दें, नेपाल की गंडकी नदी से मिली शालीग्राम शिला को अयोध्या लाने के लिए यात्रा की शुरुआत हो गई है। वहीं इस बात पर विचार किया जा रहा है कि गर्भगृह में विराजित होने वाली रामलला की प्रतिमा का स्वरूप कैसा रहेगा। बता दें, इस बात को तय किया जा चुका है कि राम जी की प्रतिमा बालस्वरूप की ही होगी।
प्रतिमा के लिए इस भाव भंगिमा का किया गया चयन
मिली जानकारी के मुताबिक, प्रतिमा के लिए किस तरह की भाग-भंगिमा को चुना जाए? वहीं अब तक राम जी के बाल रूप के उपलब्ध चित्रों को बैठक में कम्प्यूटर पर देखा जा रहा है। मंदिर निर्माण ट्रस्ट व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र परिषद ने मंदिर के लिए विशेषज्ञों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का एक पैनल तैयार कर दिया गया है।
भाव-भंगिमा और मुद्रा पर मंथन
29 जनवरी 2023 को मंदिर समिति की बैठक में मंदिर के निर्माण के साथ रामलला की प्रतिमा से जुड़ा मंथन भी किया गया है। वहीं चित्रकार वासुदेव ने कामथ स्केच बनाकर मीटिंग में पेश भी किया था। सभी ने इससे जुड़े कई सुझाव भी दिए हैं। वहीं इन सुझावों पर ध्यान देते हुए दोबारा स्केच तैयार किया जाएगा।
बता दें, बैठक में रामलला के चेहरे को लेकर खास चर्चा की गई। कहा गया कि भगवान की मूर्ति में मुस्कान और आंखों में बाल रूप की चंचलता के साथ देवत्व का भाव होना चाहिए। कहा गया है कि रामलला के बालस्वरूप में ऐसा भाव हो कि लोग 35 फीट दूरी से भी उनके दर्शन रूप को देख पाए।
इसके साथ ही सदस्यों ने सुझाव दिया है कि उनके मुख पर बाल सुलभ कोमलता होने के साथ हाथ में धनुष-बाण और पैरों में खड़ाऊ होंगे। बता दें, हर मंदिर में राम की जी प्रतिमा ज्यादातर मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप की है। मगर बाल स्वरूप रामलला की प्रतिमा में शक्ति, सौंदर्य के साथ बाल सुलभ कोमलता का समन्वय भी होगा। मूर्तिकार सबसे पहले उनके रूप को चित्रित करेंगे। इसमें विश्वनाथ कामथ की अहम भूमिका होगी। वहीं एक बार सारा डिजाइन फाइनल होकर चित्र के मुताबिक ही उसकी मूर्ति तैयार की जाएगी।
गंडकी नदी से निकली शालिग्राम शिला को देखेंगे विशेषज्ञ
बताया जा रहा है कि रामलला की मूर्ति बनाने से पहले सभी विशेषज्ञ नेपाल की गंडकी नदी से निकले शालिग्राम शिला को देखेंगे। इसके लिए मूर्ति को अयोध्या लेकर जाया जाएगा। आपको बता दें, रामलला की मूर्ति बनाने में प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामथ का साथ पद्मभूषण शिल्पकार राम वनजी सुथार देंगे। जानकारी के लिए बता दें, राम सुथार ने ही स्टैचू ऑफ़ यूनिटी का शिल्प तैयार किया है।
रामनवमी पर रामलला के ललाट पर पड़ेगी सूर्य की किरणें
कहा जा रहा है कि रामनवमी के खास अवसर के दिन रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। इसके साथ ही निर्माण समिति की मीटिंग में इस बात को भी तय किया गया है कि हर शनिवार मंदिर निर्माण समिति ऑनलाइन बैठक करेगा। ऐसे में हम कह सकते हैं कि अब राम भक्तों का इंतजार जल्दी ही खत्म होने वाला है।