

नई दिल्ली (EXClUSIVE): इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें हिंदुओं को वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के अंदर दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी गई थी।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें वाराणसी अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित ‘व्यास जी का तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति दी थी।
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “आज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया के आदेश की पहली अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें वाराणसी जिला न्यायालय द्वारा पारित 17 और 31 जनवरी के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। मामले का सार यह है कि चल रही पूजा ज्ञानवापी परिसर का ‘व्यास जी का तहखाना’ जारी रहेगा।”
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया है कि वहां पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते थे और 1993 में बिना किसी दस्तावेज या आदेश के धार्मिक अनुष्ठान बंद कर दिए गए थे। इसलिए, जिला अदालत के आदेश को आज बरकरार रखा गया। उच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। अंजुमन इंतजामिया की आपत्ति को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
बता दें कि 31 जनवरी को, वाराणसी की एक अदालत ने हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दी। अदालत ने जिला प्रशासन को भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को इसके लिए एक पुजारी को नामित करने के लिए कहा था।