

नई दिल्ली (Exclusive): सुप्रीम कोर्ट ने आज समलैंगिक शादी को मान्यता देने की याचिका को खारिच कर दिया। मुख्य न्यायधीश का कहना है कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र में है। वहीं, समलैंगिकों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को समलैंगिक विवाह की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा, “कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विषमलैंगिक जोड़े ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं। अविवाहित जोड़े, जिनमें समलैंगिक जोड़े भी शामिल हैं, संयुक्त रूप से एक बच्चे को गोद ले सकते हैं”।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) का परिपत्र (जो समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने से बाहर करता है) संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। CARA विनियमन अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य संघों के खिलाफ भेदभाव करता है। एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है। इसका समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को मजबूत करने का प्रभाव है।”
सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करेगी। उन्होंने कहा कि समिति समलैंगिक जोड़ों को राशन कार्ड में परिवार के रूप में शामिल करने पर विचार करेगी, जिससे समलैंगिक जोड़े संयुक्त बैंक खाते के लिए नामांकन, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकार शामिल होंगे।