Friday, November 15, 2024
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SC ने खारिज की 26वें हफ्ते के गर्भ को गिराने की महिला की याचिका, पढ़िए पूरा मामला

नई दिल्ली (Exclusive): सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने के अनुरोध को खारिच कर दिया।

मुख्य न्यायधीश ने कहा कि अदालत गर्भावस्था के इस चरण में गर्भपात को मंजूरी नहीं दे सकती। गर्भावस्था 26 सप्ताह और 5 दिन की है। इस प्रकार, गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देना एमटीपी अधिनियम की धारा 3 और 5 का उल्लंघन होगा क्योंकि इस मामले में ना ही तो मां को कोई खतरा है और ना ही यह भ्रूण की असामान्यता का मामला है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला के माता-पिता यह निर्णय ले सकते हैं कि बच्चे को गोद दिया जाए या नहीं। अदालत ने कहा, महिला को एम्स में इलाज मिलेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने राज्य को सभी चिकित्सा लागत वहन करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता ने इस आधार पर अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की कि वह प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित है। सीजेआई ने एम्स की ताजा रिपोर्ट देखने के बाद यह फैसला सुनाया।

एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर महिला गर्भावस्था जारी रखती है तो कोई समस्या नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे प्रसवोत्तर मनोविकृति है लेकिन वह जो दवा ले रही है वह बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही है।

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