

हिंदू धर्म के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस दौरान भक्त महादेव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनकी विशेष पूजा करते है। वहीं, भगवान शिव को फूल, जल, दूध और बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन्हें बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र?
देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अच्छी और बुरी दोनों चीजें निकलींथी । ऐसी ही एक चीज़ थी हलाहल नामक घातक जहर। इससे डरकर देवताओं ने भगवान शिव से उनकी मदद करने और दुनिया को नष्ट होने से बचाने को कहा। दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने जहर पीने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने हलाहल पिया, देवी पार्वती ने जहर को उनके गले में रोकने के लिए अपना हाथ रख दिया। भगवान का कंठ नीला हो गया और तब से उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा।
परंतु, विष के अत्यंत खतरनाक प्रभाव से भगवान शिव का शरीर गर्म होने लगा। इससे उनके आसपास का माहौल भी गर्म होने लगा। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बेल पत्र को जहर के प्रभाव को कम करने के लिए जाना जाता है। इसलिए, देवताओं ने भगवान शिव को पत्ते खिलाना शुरू कर दिया। उन्हें ठंडा रखने के लिए पानी भी दिया गया। इससे उनके शरीर की गर्मी कम हो गई और तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
यह भी है मान्यता
यह भी माना जाता है कि बेल पत्र एक त्रिपर्णीय पत्ता है जो हिंदू धर्म की पवित्र त्रिमूर्ति – भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को इसलिए सबसे प्रिय हैं क्योंकि एक बार देवी पार्वती के पसीने की बूंदें मंदराचल पर्वत पर गिरी थीं। इससे बेल या बिल्व पौधे की वृद्धि हुई। पुराणों में भी उल्लेख है कि देवी अपने सभी रूपों में बिल्व वृक्ष में वास मानती हैं।
किते बेलपत्र चढ़ाए?
शिवलिंग पर 3 से 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन आप इससे अधिक भी चढ़ा सकते हैं। यदि आप सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं तो भगवान शिव प्रसन्न होंगे, भले ही आपके पास केवल एक बेलपत्र का पत्ता ही क्यों न हो। वहीं शीघ्र विवाह के लिए शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाने चाहिए।