Wednesday, May 21, 2025
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कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…

नई दिल्‍ली (Exclusive) कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है ओडिशा (Odisha) के नयागढ़ (Nayagarh) जिले के तुलुबी (Tulubi)गांव के हरिहर बेहरा (Harihar Behera) ने।

तीस साल पहले हरिहर बेहरा ने प्रशासन (Administration) से पहाड़ी जंगल (Hill Forest )के जरिए 3 तीन किलोमीटर की सड़क (Road) बनाने की मांग की थी, जिससे उनके गांव को मुख्‍य सड़क से जोड़ा जा सके, लेकिन प्रशासन ने उनकी मांग को खारिज कर दिया।

हर किसी ने कहा कि यह असंभव है। जिसके बाद हरिहर बेहरा ने वो कर दिखाया, जिसकी कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता था।

हरिहर बेहरा ने अपने भाई के साथ मिलकर 30 साल में पहाड़ (Mountains) काटकर सड़क बना दी, लेकिन इस दौरान उन्‍होंने अपने भाई को खो दिया।

बताते हैं कि प्रशासन और नेताओं से निराशा हाथ लगने के बाद हरिहर बेहरा और उनके भाई कृष्‍ण बेहरा ने खुद फावड़ा लेकर पहाड़ काटने में जुट गए।

हरिहर बेहरा ने जब काम शुरू किया था उस वक्‍त उनकी उम्र 26 साल थी। दोनों भाइयों के पास हथौड़े, कुदाल और लोहदंड के अलावा और कुछ नहीं था।

हरिहर बेहरा खेतों में काम करने के साथ ही पहाड़ों को हथौड़ से काटने का काम करते थे। दोनों भाइयों ने पहले जंग का एक हिस्‍सा साफ किया फिर छोटे-छोटे विस्‍फोटकों से बड़ी-बड़ी चट्टानों को फोड़ने की कोशिश की।

हरिहर बेहरा ने देखा कि विस्‍फोट से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। इसके बाद उन्‍होंने हथौड़े से ही चट्टानों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया।

काम के दौरान ही हरिहर बेहरा ने किडनी की बीमारी के चलते अपने भाई कृष्‍ण बेहरा को खो दिया। जिसके बाद हरिहर ने तीस साल की कड़ी मेहनत के बाद वो कर दिखाया जिसकी कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता था। गांव के लोग दोनों भाइयों का आभार जताते हुए नहीं थकते हैं।

 

 

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