

जालंधर (Exclusive) आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri )आज 11 जुलाई 2021 (रविवार) से शुरू हो रहे हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा (Maa Durga)की विधि-विधान से पूजा (ritualistic worship) की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं, तांत्रिकों द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न और तंत्र साधना करने के लिए मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को गुप्त रखना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा पूजा का दोगुना फल देती हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र में गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ व्रत नियमों का भी वर्णन किया गया है, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।गुप्त नवरात्रि को सिद्धि प्राप्ति के लिए शुभ समय माना जाता है। इसलिए इस नवरात्रि को साधुओं और तांत्रिकों की नवरात्रि मानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा-आराधना गुप्त रूप से की जाती है और इसीलिए इसमें मानसिक पूजा का विशेष महत्व है। इस साल आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई को समाप्त होगी। कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 5:31 बजे से 7:47 बजे तक है।
गुप्त नवरात्रि में देवी मां की शक्ति पूजा के नियम-विधान कठिन होते हैं। मान्यता है कि व्रती को गुप्त नवरात्रि व्रत नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान-
-गुप्त नवरात्रि में मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करें।
-मां दुर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए
-नवरात्रि के दिनों में घर में कलेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए।
-नवरात्रि में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
– नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए।
– मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए।
– नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए।
-घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए।