

नई दिल्ली (EXClUSIVE): समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा।
इस कानून के तहद, पंजीकरण न कराने पर छह महीने तक की कैद या 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जोड़े को जो रसीद मिलेगी, उसके आधार पर वह घर, हॉस्टल या पीजी किराए पर ले सकते हैं। पंजीकरण में एक महीने की देरी पर भी तीन महीने तक की जेल, 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अनिवार्य ये शर्तें
– केवल एक वयस्क पुरुष और एक वयस्क महिला ही लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। उन्हें पहले से ही शादीशुदा या किसी और के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं होना चाहिए।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए एक पंजीकृत वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण से इनकार करने पर कपल को लिखित में कारण बताना होगा।
– पंजीकृत लिव-इन रिलेशनशिप को “समाप्त” करने के लिए एक लिखित बयान की आवश्यकता होगी
– अगर रजिस्ट्रार को लगता है कि संबंध समाप्त करने के कारण “झूठे” या “संदिग्ध” हैं तो वह पुलिस जांच के आदेश दे सकता है।
– एक महिला अपने लिव-इन पार्टनर द्वारा छोड़े जाने के बाद भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
– लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चे दंपत्ति के वैध बच्चे माने जाएंगे और बच्चे के पास जैविक बच्चे के सभी अधिकार होंगे। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलगाव के लिए पंजीकरण कराना भी अनिवार्य होगा।
रजिस्ट्रार पंजीकरण की रसीद देगा
पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार उन्हें पंजीकरण रसीद देगा। उस रसीद के आधार पर दंपत्ति किराए के मकान या हॉस्टल या पीजी में रह सकेंगे। रजिस्ट्रार को पंजीकरण करने वाले जोड़े के माता-पिता या अभिभावकों को भी सूचित करना होगा। इसके अलावा – 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों को भी सूचित किया जाना चाहिए।