

विदिशा Exclusive: दशहरे का पर्व 24 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन कर जीत का जश्न मनाते हैं।
वहीं इस बीच कई जगह रावण को खलनायक के रूप में नहीं देखा जाता। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की। यहां रावण दहन नहीं होता बल्कि उन्हें भगवान का दर्जा प्राप्त है। कहानी अपने-आप में दिलचस्प है। इस गांव का नाम ‘रावण’ है और यहां उनका एक प्रचीन मंदिर बना हुआ है। इसका नाम ‘प्राचीन रावण बाबा मंदिर’ है।
मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है, जिसकी पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। रावण की पत्नी मंदोदरी मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से मानी जाती है। इस कारण रावण को दामाद माना जाता है और सम्मान के साथ रावण बाबा बोला जाता है। विदिशा में दशानन रावण की 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है
बता दें कि, जब कोई विशेष अवसर आता है तो मंदिर में उत्सव का आयोजन भी होता है। यह गांव ऐसा है जहां हर दिन जय लंकेश-जय लंकेश के जयकारों के साथ बीतता है। लोग बताते हैं कि, मंदिर के पास एक तालाब है जिसका पानी गंगा के सामान है।
पुत्र प्राप्ति के लिए होती है बुत की पूजा
वहीं पंजाब में लुधियाना के पायल कस्बे में भी 150 साल से रावण को पूजा जा रहा है। यहां रावण का सीमेंट का पक्का बुत भी बना हुआ है। यहां न तो रावण के पुतले बनाए और न ही जलाए जाते हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए लोग इस बुत की पूजा करते हैं।