

पंजाब (Exclusive): हरियाणा और पंजाब के बीच सतलुज यमुना लिंक (SYL) को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए राजनीति ना करने के लिए कहा।
पंजाब सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट काफी नाराज दिखी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीति न करे और आगे बढ़े। कानून से ऊपर कोई नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट समाधान निकाल रही है तो पंजाब सरकार भी पॉजिटिव रुख दिखाए। कोर्ट को सख्त आदेश देने के लिए मजबूर ना किया जाए। इसी के साथ पंजाब सरकार को इस मामले में होने वाली डेवलपमेंट के बारे में जनवरी 2024 तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
केंद्र को सर्वे शुरू करने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए है कि पंजाब केंद्र के सहयोग से राज्य में SYL को लेकर सर्वे करने दिया जाए। हरियाणा में SYL बनाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। गौरतलब है कि यह मामला लगभग 2 दशक से उलझा हुआ है। पिछली 2 मीटिंगों में कोई हल नहीं हुआ है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया।।
सर्वे में देखा जाएगा कि कितनी जमीन है और कितनी नहर बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को सर्वे करने वाले अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है।
पंजाब CM मान ने कहा था- हमारे पास नहीं पानी
बता दें कि पंजाब के CM भगवंत मान इस मामले पर बयान देते हुए कहा था कि पंजाब के पास किसी ओर राज्य को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। जितना पानी दिया जा रहा है, वह जा ही रहा है। यही नहीं, सीएम मान ने हरियाणा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब बाढ़ आई तो हरियाणा ने क्यों नहीं कहा कि यह पानी हमें दे दो।
1966 से शुरू हो गया था SYL विवाद
गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में SYL विवाद तब शुरू हुआ जब हरियाणा राज्य का गठन हुआ। 1966 में हरियाणा के विभाजन के बाद भारत सरकार ने पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 78 का प्रयोग करते हुए पंजाब के पानी (पेप्सू सहित) में से 50% हिस्सा (3.5 एमएएफ) हरियाणा को देने के लिए कहा था, जो 1955 में पंजाब को मिला था। वहीं, पंजाब का आरोप है कि तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 का प्रयोग करना गैर संविधानिक था।