नई दिल्ली (TES): देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया. उद्घाटन के साथ ही सालों पुराना राजपथ कर्तव्य पथ बन गया है. इसके साथ ही उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रतिमा का भी अनावरण किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना पर काम करने वाले सभी श्रमिकों को आमंत्रित करेंगे.
बता दें कि ‘कर्तव्य पथ’ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का मार्ग है. इस सड़क के दोनों तरफ लॉन और हरियाली के साथ ही पैदल चलने वालों के लिए लाल ग्रेनाइट पत्थरों से बना पैदल पथ इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है.
इस मार्ग पर नवीकृत नहरें, राज्यों की खाद्य वस्तुओं के स्टॉल, नयी सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे. ज्ञात हो कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से मिले एक प्रस्ताव को पारित कर ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया. अब इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरे इलाके को ‘कर्तव्य पथ’ कहा जाएगा.
#WATCH | PM Narendra Modi unveils the statue of Netaji Subhas Chandra Bose beneath the canopy near India Gate
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— ANI (@ANI) September 8, 2022
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि पूर्ववर्ती ‘राजपथ’ सत्ता का प्रतीक था और उसे ‘कर्तव्य पथ’ का नाम दिया जाना बदलाव का परिचायक है और यह सार्वजनिक स्वामित्व तथा सशक्तीकरण का एक उदाहरण भी है.
PM Modi will unveil the statue of Netaji Subhas Chandra Bose near India Gate & inaugurate Central Vista in New Delhi, shortly
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— ANI (@ANI) September 8, 2022
पीएमओ ने कहा कि ‘कर्तव्य पथ’ का उद्घाटन और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण ‘अमृत काल’ में प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के लिए ‘पंच प्रण’ के आह्वान के दूसरे प्रण के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता की हर निशानी को समाप्त करने की बात कही थी.
राजपथ और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के इलाकों में भीड़ के कारण बुनियादी ढांचे पर पड़ते दबाव और सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण राजपथ का पुनर्विकास किया गया है. पीएमओ ने कहा कि इसमें वास्तु शिल्प का चरित्र बनाये रखने के साथ ही और अखंडता भी सुनिश्चित की गयी है.