हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है, जो 16 दिनों तक चलते हैं। इस दौरान पूर्वजों के लिए अनुष्ठान व श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, दान आदि किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मौके पूर्वज अपने प्रियजनों के पास भोजन प्रसाद स्वीकार करने के लिए आते हैं।
इसमें पानी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि कहा जाता है कि इससे उनकी आत्मा तृप्त होती है। वहीं, जो लोग इन अनुष्ठानों को करते हैं उन्हें अक्सर पितृ पक्ष के सख्त नियमों का पालन करने और उन्हें उचित तरीके से करने की सलाह दी जाती है।
इस दौरान कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए, जिसके बारे में हम आपको बताएंगे। इनमें मांसाहारी भोजन, अंडे, शराब व प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन शामिल हैं। अन्य नियमों में नए काम से बचना, बाल और नाखून काटना व अनुष्ठानों के लिए केवल विशिष्ट धातुओं का उपयोग करना भी शामिल है। इतना ही नहीं जानवरों व व्यक्तियों के प्रति सम्मान और देखभाल दिखाना भी इन दिनों में बेहद जरूरी है।
पितृ पक्ष में ना खाएं
– इस दौरान मांसाहारी भोजन, अंडे और शराब से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। साथ ही इस दौरान बासी भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
-सफेद व काला चना, मसूर दाल, काली उड़द दाल, काली सरसों, जीरा, काला नमक, करेला और ककड़ी, सरसों साग आदि का सेवन भी इस दौरान वर्जित माना गया है।
-किसी भी तामसिक भोजन से बचना चाहिए। इसमें- प्याज, लहसुन और बैंगन शामिल हैं। इसके अलावा चावल, गेहूं, चना सत्तू, आलू, अरबी, मूली, जड़ खाने वाली सब्जियां, पान, सुपारी और तंबाकू से भी बचने की सलाह दी जाती है।
पितृ पक्ष के दौरान क्या खाएं?
पितृ पक्ष के दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता है। तामसिक या राजसिक आहार खाने से मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक विकास में बाधा आती है।
इन बातों का रखें खास ध्यान…
-चूंकि इस अवधि को बेहद अशुभ माना जाता है इसलिए शास्त्रों में किसी भी नए काम की शुरुआत से बचना चाहिए। इस दौरान शादी, ग्रहप्रवेश या नई वस्तुएं खरीदने की मनाही है।
-इस दौरान व्यक्ति को अपने बाल और नाखून काटने से पूरी तरह बचना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसे अनुष्ठानों को करने के लिए केवल चार प्रकार की धातुएं सोना, चांदी, कांस्य और तांबा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
-घर आने वाले किसी भी जानवर, गरीब, प्यासे व्यक्ति को वापिस खाली हाथ ना भेजें और उनका अनादर ना करें। जरूरतमंदों को पर्याप्त भोजन या पानी उपलब्ध करवाएं।