

नई दिल्ली ( TES): देश में तीसरी लहर आना लगभग तय है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का प्रभाव दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक दिखने लगेगा। जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी की शुरुआत में ओमिक्रॉन का पीक होगा।
आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने नए अध्ययन में यह दावा किया है। हालांकि, तीसरी लहर, दूसरी लहर की तुलना में कम घातक होगी। बता दें कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन पाया गया है, जिसे लेकर पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है।
अध्ययन के मुताबिक, तीसरी लहर दूसरी लहर की तरह घातक नहीं होगी। प्रो. अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर यह निष्कर्ष निकाले हैं।
इससे पहले प्रो. मणींद्र ने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर ही दूसरी लहर के बाद ही नए म्यूटेंट के आने से तीसरी लहर की आशंका जताई थी। कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी लहर में अपने गणितीय मॉडल सूत्र के माध्यम से आकलन करने वाले प्रो. अग्रवाल ने दक्षिण अफ्रीका में फैले ओमिक्रॉन वेरिएंट पर स्टडी शुरू कर प्रारंभिक स्टडी जारी की है।
इसके मुताबिक, अब तक जितने भी केस स्टडी सामने आई हैं, उसमें संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन बहुत अधिक घातक नहीं मिला है। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि सितंबर माह में ही तीसरी लहर को लेकर जो आकलन किया था, वह सच साबित होता दिख रहा है।
कई देशों में फैलने के बाद भारत में भी ओमिक्रॉन के केस मिलने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जब तीसरी लहर पीक पर होगी, तब रोजाना एक से डेढ़ लाख के बीच संक्रमित मरीजों के मिलने की संभावना है।
प्रो. अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल सूत्र से पहले व दूसरी लहर में भी स्टडी की थी। उनकी रिपोर्ट का आकलन काफी हद तक सही साबित हुआ था।