हिंदू धर्म में पितृ पक्ष पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दौरान अपने पितरों की पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो चुके हैं, जोकि 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इस अवधि के दौरान, वंशजों को अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध किया जाता है।
हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जबकि इसी माह की अमावस्या से पितृ पक्ष का अंत होता है। 16 दिनों की इस अवधि के दौरान मृत पूर्वजों की तिथि के अनुसार पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
फूलों से करें पितृरों को प्रसन्न
इन दिनों जल और अन्न का दान करना लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा पितरों को प्रसन्न करने के लिए आपको फूल भी चढ़ाने चाहिए।
इन फूलों का ना करें उपयोग
श्राद्ध कर्म में कमल, जूही, चंपा, मालती, तुलसी, भृंगराज और सफेद फूलों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन केवड़ा, कदंब, बेलपत्र, फूलों का उपयोग ना करें। इसके अलावा शास्त्र कहते हैं कि अधिक सुगंधित फूलों से तर्पण करने पर भी पितर नाराज हो सकते हैं।
गुलाब के फूल चढ़ाएं
माना जाता है कि श्राद्ध में गुलाब का फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है क्योंकि इससे पितरों के साथ-साथ सभी देवी-देवता भी बहुत प्रसन्न होते हैं। यह घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने और जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है।
गेंदे का फूल
श्राद्ध में गेंदे के फूल अर्पित करने से सभी पितृ अति प्रसन्न होते हैं। सकारात्मकता से धन में वृद्धि हो सकती है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।