

जालंधर (TES): बॉलीवुड में बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जो सच पर आधारित है। इसके अलावा जो जीवन की सच्चाई को भी बयां करती है। ऐसे में हम सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि सीखाना वाला भी कह सकते हैं। मगर ये हम पर निर्भर करता है कि हम कुछ अच्छा सीख रहे हैं या गलत। एक समय में हिंदी फिल्मों में भी सिर्फ एक्ट्रस को मेन रोल दिया जाता था।
मगर वक्त बदलने के साथ ऐसी फिल्में भी बनने लगी, जिसमें महिलाओं को सशक्त रूप में दिखाया गया। ऐसे में इन फिल्मों के माध्यम से समाज की महिलाओं को लेकर सोच बदलने की एक पहल थी। शायद इसमें बॉलीवुड कामयाब भी हुआ।
ऐसे में आज महिला दिवस (8 मार्च) के खास अवसर पर हम आपको कुछ खास हिंदी फिल्मों के बारे में बताते हैं। इन फिल्मों को महिलाओं को देखने के साथ कुछ सीख लेना बेहद जरूरी है।
रानी मुखर्जी की मर्दानी
रानी मुखर्जी की मर्दानी फिल्म में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति गुस्सा दिखाया गया है। इसमें एक्ट्रेस ने एक निडर, बेबाक और बहादुर पुलिस अधिक्षक शिवानी शिवाजी रॉय का किरदार निभाया है। एक्ट्रेस रानी मुखर्जी का कहना था कि इस फिल्म के जरिए हम पूरे देश को संदेश दे रहे हैं कि औरतों को हर हाल में हिम्मत जुटाए रखनी चाहिए।
श्रीदेवी की इंग्लिश-विंगलिश
दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी की इंग्लिश-विंगलिश फिल्म खास उन लोगों पर आधारित है जो खुद को बेहतर समझते हैं। इसके अलावा जिन्हें हमेशा दूसरों में कमिया निकालने में मजा आता है। इस फिल्म में एक आम औरत को रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली परेशानियां दिखाई है। मगर मुश्किलों के बावजूद भी वह हार नहीं मानती बल्कि आगे बढ़ती रहती है। इस फिल्म में एक्ट्रेस ने भाषा के चैलेंज को बिना किसी परेशानी के पार किया। ऐसे में ये फिल्म उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो भाषा को लेकर डरते हैं। इसके अलावा किसी भी काम को करने के लिए उम्र की परवाह करते हैं।
कंगना की क्वीन
जो लोग शादी के बिना लड़की की जिंदगी को पूरा नहीं मानते हैं, उन लोगों की सोच बदलने वाली ये फिल्म है। जहां समाज में डेमोक्रेसी और बराबरी की बातें की जाती है, वहीं क्वीन फिल्म से हमें अलग ही संदेश मिलता है। फिल्म में शादी टूटने के बाद लड़की शर्मिंदा होने की जगह दोगुने जोश में दिखती है। वह अकेले ही हनीमून जाने का तय करती है और जाती भी है। इस फिल्म में बताया गया है कि लड़कियों को किसी का सहारा लेने की तलाश नहीं करनी चाहिए। वे खुद भी अपनी जिंदगी को पूरा कर सकती है।
प्रियंका चोपड़ा की मैरी काॅम
प्रियंका चोपड़ा की ये फिल्म 5 बार फीमेल वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन का खिताब हासिल कर चुकी मैरी काॅम की असल जिंदगी पर बनी है। फिल्म में मैरी कॉम को सफलता मिलने से पहले और बाद का उनका जीवन दिखाया है। इसमें बताया गया कि एक खिलाड़ी महिला को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलााव ये फिल्म हमें प्रेरणा देती है कि हालात चाहे कैसे भी हो हार मानने की जगह हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए।
विद्या बालन की शकुंतला देवी
फिल्म शकुंतला देवी दुनिया की मानव कंप्यूटर कही जाने वाली शकुंतला देवी की असल जिंदगी पर बनाई गई। इस फिल्म में शकुंलता देवी का किरदार एक्ट्रेस विद्या बालन ने बखूबी निभाया। बता दें, शकुंतला देवी ने स्टूडैंट्स के लिए संख्यात्मक गणना को आसान बनाने की कोशिश की। फिल्म में दर्शाया गया कि एक महिला दुनिया में तो खूब नाम कमाती है। मगर उसे अपने परिवार का साथ नहीं मिल पाता है। इसके अलावा फिल्म में एक वर्किंग मदर को अपने बच्चों की सही परवरिश व देखभाल के लिए कड़ी मेहनत करते दिखाया गया है।
दीपिका पादुकोण की छपाक
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक रियल स्टोरी पर आधारित थी। इसमें जिस लड़की की कहानी बताई गई वह जले चेहरे का साथ रोजाना समाज का सामना करती है। इस मूवी में एसिड अटैक के खिलाफ आवाज बनकर आई लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है। फिल्म में बताया गया कि कैसे एक एसिड अटैक सर्वाइवर महिला अपने जले चेहरे के साथ समाज में रहती है। लोगों का सामना करती है। अपनी खुद पर हुए अत्याचार के विरुद्ध लड़ते हुए एसिड को बेचने पर रोक लगाने के लिए लड़ती है। फिर अन्य में वह सफलता हासिल करती है।