जालंधर (Exclusive)हर माह शुक्ल पक्ष (Shukl Paksha) की अष्टमी तिथि (Ashtami date)को मासिक दुर्गाष्टमी का पावन व्रत (Monthly Durgashtami fasting)रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा (Maa Durga)की विधि-विधान से उपासना (Worship) करें। उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखा जाता है।
सच्चे मन से आराधना करने वालों पर मां दुर्गा कृपा बरसाती हैं। मां की कृपा से घर में खुशहाली, सुख-समृद्धि और धन का आगमन होता है। दुर्गाष्टमी व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस पावन व्रत में स्नान कर पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें।
माता को अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें, फिर प्रसाद के रूप में फल और मिष्ठान अर्पित करें। धूप और दीपक जलाएं। दुर्गा चालीसा का पाठ करें और माता की आरती करें। इस व्रत में कन्या पूजन की विशेष महत्ता है। माना जाता है कि दुर्गाष्टमी व्रत में कन्याओं को उपहार, दान, दक्षिणा प्रदान करने से मां प्रसन्न होती हैं। मासिक दुर्गाष्टमी व्रत में मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए सफेद फूल कन्याओं को भेंट करें।
मन की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए लाल पुष्प कन्याओं को भेंट करें। लौकिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए लाल या पीले रंग के फल कन्याओं को भेंट स्वरूप दें। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए मिठाई, खीर, हलवा या केसरिया चावल कन्याओं को भेंट स्वरूप दें। छोटी कन्याओं को खिलौने उपहार स्वरूप देने से मां बहुत प्रसन्न होती हैं।
मां सरस्वती का आह्वान करने के लिए कन्याओं को शिक्षण संबंधी वस्तुएं भेंट में दें। अखंड सौभाग्य की कामना के लिए महिलाएं और निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए छोटी कन्याओं को पांच प्रकार की शृंगार सामग्री भेंट करें।