आज 8 मार्च 2024 को भगवान शिव के भक्तों द्वारा महाशिवरात्रि का पावन पर्व अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस पवित्र अवसर पर शिवलिंग पर बेल पत्र या बिल्व के पत्ते चढ़ाएं जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कि भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग पर क्यों चढ़ाएं जाते हैं बेल पत्र और इसका महत्व क्या है।
बेल पत्र या बिल्व पत्तियों का महत्व
बिल्व की पत्तियां तीन पत्तों में विभाजित होती हैं, जिन्हें भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतीक माना जाता है। पवित्र हिंदू ग्रंथों के अनुसार, पत्ता ब्रम्हा, विष्णु और महेश या शिव की पवित्र त्रिमूर्ति का भी प्रतीक है। इसके अलावा, यह भगवान शिव का पसंदीदा भी है इसलिए भक्त शिवजी को बिल्व या बेलपत्र चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
हिंदू पूजाओं में बेल पत्र चढ़ाने को इतना महत्वपूर्ण माना जाने का प्राथमिक कारण यह है कि, प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार, बेल का पेड़ भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के पसीने की बूंदों से उत्पन्न हुआ था।
शिव पुराण में इस पत्ते को भगवान शिव की पूजा में उपयोग की जाने वाली 6 पवित्र वस्तुओं में से एक माना गया है। भगवान शिव को बेलपत्र इसलिए चढ़ाया जाता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। ये पवित्र पत्तियां शिव लिंग के अग्नि तत्व को ठंडा करती हैं। पवित्र बेलपत्र की उत्पत्ति का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
शास्त्रों का दावा है कि बेल पत्र देवी पार्वती के पसीने से उत्पन्न हुआ था। बेल पत्र उन तीन ध्वनियों का भी प्रतीक है जो पवित्र ध्वनि ओम् का निर्माण करती हैं: ए-कार, “उ” कार, और “एम” कार।