

नौ दिनों तक चलने वाला शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। उपवास से लेकर दावत, अनुष्ठान से लेकर मौज-मस्ती तक, यह आनंद, भक्ति और उत्सव का नौ दिवसीय कार्निवल है, जो लोगों के दिल और दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा व खुशी से भर देता है।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक अलग अवतार को समर्पित है। चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें ब्रह्मांड की निर्माता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग खत्म हो जाते हैं। आइए मां कूष्मांडा से जुड़े महत्व और पौराणिक कथाएं…
कौन हैं मां कुष्मांडा?
मां कुष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा अवतार हैं, जिन्होंने दैत्यों का संहार करने के लिए जन्म लिया था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कुष्मांडा ने एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे की उत्पत्ति करके ब्रह्मांड का निर्माण किया।
चूंकि माता की आठ भुजाएं है इसलिए उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। मां के चारों ओर की दीप्तिमान आभा सकारात्मकता और प्रकाश बिखेरने की उसकी क्षमता का प्रतीक है। मां का वाहन सिंह है और वह सूर्यमंडल के भीतर वास करती हैं।
शारदीय नवरात्रि 2023 दिन 4 पूजा विधि
मां की पूजा करने के लिए पीले वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। साथ ही पूजा के दौरान देवी को पीला चंदन, कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा पान के पत्ते में केसर रखकर ॐ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जाप करते हुए अर्पित कर सकते हैं।
मां कूष्मांडा मंत्र का जाप
‘ॐ कुष्माण्डायै नमः’ मंत्र का जाप और दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं के लिए अनुशंसित है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे उन्हें एक उपयुक्त वर मिलता है।