Tuesday, June 17, 2025
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इस दिन पड़ा रहा शनि जयंती का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त व उपाय

जालंधर ( TES): हिंदू धर्म में शुभ तिथियों का भी विेशेष महत्व माना जाता है। वहीं अब न्याय के देवता शनि देव की जयंती का पर्व आने वाला है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से कुंडली में शनि साढ़ेसाती, शनि ढैय्या आदि के अशुभ प्रभावों का असर कम होता है। चलिए जानते हैं इस पावन पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व खास उपाय…

शनि जयंती तिथि व शुभ मुहूर्त

शनि जयंती तिथि प्रारंभ- 18 मई 2023, दिन गुरुवार, सुबह 09.42 बजे से
शनि जयंती तिथि समापन- 19 मई 2023, दिन शुक्रवार, रात 09.22 बजे तक
उदया तिथि शुक्रवार होने से शनि जयंती 19 मई 2023 को मनाई जाएगी।

शनि जयंती का महत्व

निदेव को कर्मफलदाता और न्याय करने वाले देवता है। अगर किसी की कुंडली में शनि साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव हो तो उसे जीवन में काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में शनि साढ़ेसाती, ढैय्या का प्रभाव व शनिदोष से जुड़ा कोई दोष हो उन्हें इस शुभ पर्व पर शनिदेव की पूजा करने चाहिए। मान्यता है कि विधिवत पूजा करने से कर्मफलदाता शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐसे में वे जातक के दोषों का निवारण करते हैं।

शनि जयंती की पूजा विधि

. इस शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
. फिर तांबे के लोटे से भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
. अब शनि मंदिर जाकर शनि महाराज को नीले फूल, काला तिल और सरसों तेल चढ़ाएं।
. फिर शनिदेव के सामने तेल का दीया जलाकर एक माला ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंंत्र का जप करें।
. इसके बाद शनि चालिसा का पाठ करके उन्हें भोग स्वरूप मिठाई अर्पित करें।

कुंडली में शनिदोष दूर करने के लिए करें ये उपाय

कुंडली में शनिदोष होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मगर शनिदोषों के प्रभाव को कम करने के लिए इस पावन दिन पर शनि देव की पूजा जरूर करें। इसके लिए शनि मंदिर जाकर शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें। उनके मंत्रों का जाप करके हुए 7 परिक्रमा लें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से कुंडली में शनिदोष, शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती का प्रभाव कम या दूर हो जाता है।

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