

उत्तराखंड (TES): देव भूमि उत्तराखंड में धरती धंसने की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि ये मामला पिछले 12 दिनों से चल रहा है।
धरती रोजाना थोड़ी-थोड़ी मात्रा में नीचे धंसती जा रही है। इसके कारण जोशीमठ में दरार वाले भवनों की संख्या बढ़कर 760 हो गई।
इसके अलावा 145 परिवारों के 589 सदस्यों को अस्थायी रूप से सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया है। इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जोशीमठ की कुछ सैटेलाइट तस्वीरें लेकर जारी की है।
ISRO ने तस्वीरें जारी करने के साथ कहा है कि जोशीमठ में 27 दिसंबर 2022 और 8 जनवरी 2023 तक करीब 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर भूमि नीचे की तरफ तेजी से धंसी गई है। वहीं अप्रैल 2022 और नवंबर 2022 तक जोशीमठ में 9 सेंटीमीटर की धीमी गिरावट पाई गई थी।
इसको लेकर NRSC का कहना है कि दिसंबर के आखिर व जनवरी के पहले हफ्ते तेजी से धरती नीचे धंसने की बात सामने आ रही है। जारी की हुई सेटेलाइट तस्वीरों देख पता लग रहा है कि आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर के साथ सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है।
भू-धंसाव का ताज जोशीमठ-औली रोड के नजदीक 2,180 मीटर की ऊंचाई पर माना गया है। वहीं जोशीमठ को चमोली जिला प्रशासन द्वारा भू-धंसाव क्षेत्र ऐलान कर दिया है। दरअसल, सैकड़ों घरों में कुछ दिनों में ही दरारें देखने मिल रही है। साथ ही परिवारों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा क्योंकि उनके घरों को पहचानना मुश्किल हो रखा है।
राहत पैकेज का हुआ ऐलान
इस भारी नुकसान को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 1.5 लाख रुपए के अंतरिम राहत पैकेज का ऐलान किया है। इसके साथ ही पुनर्वास पैकेज पर सरकार काम कर रही है।
बता दें, दो होटलों का विध्वंस वीरवार को शुरू हुआ था मगर मौसम का हाल देखते हुए उसे तुरंत रोक दिया। दूसरी ओर वहां के स्थानीय लोगों और निवासियों के विरोध करने पर कुछ समय के लिए यांत्रिक विध्वंस पर भी विराम लगाया गया था।
यहां सिर्फ होटल मलारी इन और माउंट व्यू होटल को ध्वस्त करने का फैसला हुआ है। असल में, उनका अस्तित्व आसपास के ढांचे के लिए खतरनाक माना गया है। इसके चलते प्रशासन ने आश्वासन देते हुए कहा है कि अब कोई अन्य घर गिराने पर रोक रहेगी।
जोशीमठ के डूबने का विश्लेषण कई विशेषज्ञ टीमों द्वारा किया जा रहा है। वहीं NTPC जलविद्युत परियोजना के लिए सुरंग खोदने का काम शुरु करने वालों को विशेषज्ञों द्वारा दोषी करार किया जाएगा। NTPC ने एक बयान देते हुए कहा है कि असल में उनकी सुरंग जोशीमठ के नीचे से होकर नहीं जा रही है।
ऐसे में इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वीरवार को राज्य सरकार से चमोली जिले के भूमि के धंसने से प्रभावित जोशीमठ कस्बे के लिए एक मजबूत योजना बनाने का आदेश दिया है ताकि उन्हें जल्दी ही सही स्थान मिल पाएं।