

नई दिल्ली (TES): सूर्य ग्रह से जुड़ी एक नई सामने आई है, जिसने वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि सूर्य का एक बड़ा भाग अपनी सतह से टूटकर अलग हो गया है।
वह हिस्सा अपने उत्तरी ध्रुव के चारों ओर बवंडर जैसा भंवर बना रहा है। वहीं वैज्ञानिक इस पर विश्लेषण करने का प्रयास कर रहे हैं कि ये किस तरह हो गया। वहीं इससे जुड़ी एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसे देखकर अंतरिक्ष समुदाय हैरान हो गया है।
बता दें, इस बात की पुष्टि नासा के जेम्स वेब ने टेलीस्कोप द्वारा की है। इसके साथ ही बीते हफ्ते अंतरिक्ष मौसम भविष्यवक्ता डॉ तमिता स्कोव ने इस घटना को अपने ट्वीटर अकाउंट पर शेयर किया था। वीडियो में सूर्य, सौर ज्वाला का उत्सर्जन करता दिखाई दिया, जो कभी-कभी पृथ्वी पर संचार पर असल डालता है। ऐसे में इसके कारण वैज्ञानिक नवीनतम विकास के लिए चिंता कर रहे हैं।
बता दें, डॉ. स्कोव ने ट्वीट कर कहा कि ध्रुवीय भंवर के बारे में बात करें! उत्तरी प्रमुखता से सामग्री मुख्य फिलामेंट से टूट कर अलग हो गई है। ये तारों के उत्तरी ध्रुव के चारों ओर एक विशाल ध्रुवीय भंवर में घूमने लगी है। यहां 55 डिग्री से ऊपर सूर्य के वायुमंडलीय गतिकी को सही से समझने के लिए निहितार्थों को अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना मुमकिन नहीं है।
इस पर नासा का कहना है कि प्रमुखता सूर्य की सतह से बाहर की तरफ फैली एक चमकीली विशेषता है। बीते समय में भी हमने ऐसे कई उदाहरण देखें हैं। मगर इस बदलाव से तो सारा वैज्ञानिक समुदाय हैरान रह गया है।
डॉ. स्कोव ने एक और ट्वीट के जरिए कहा कि #SolarPolarVortex की अधिक टिप्पणियों से जाना जा सकता है कि सामग्री को लगभग 60 डिग्री अक्षांश पर ध्रुव को परिचालित करने में करीब घंटे का समय लगा। ऐसे में हम कह सकते हैं कि इस घटना में क्षैतिज हवा की गति के अनुमान में एक ऊपरी सीमा 96 किमी प्रति सेकंड या 60 मील प्रति सेकंड रही होगी।
यूएस नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के सौर भौतिक विज्ञानी स्कॉट मैकिन्टोश ने स्पेस डॉट कॉम को बताया कि उन्होंने ने भी ऐसा भंवरर कभी नहीं देखा है। वहीं अब इस घटना के होने के बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिक इससे जुड़ी जानकारी लेने के लिए उत्सुक है।
वे एक स्पष्ट तस्वीर को दिखाने के लिए एक अजीबोगरीब घटना का विश्लेषण करने में भी जुटे हैं। भले ही ध्रुव तारे पर लगातार नजर रखी जाती है। मगर यह इस माह कई शक्तिशाली फ्लेयर्स देते हुए इसने हैरानी में डाल दिया है, जिससे धरती का संचार होने में बाधा होने लगी है।