शारदीय नवरात्रि देश भर में मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो देवी शक्ति के नौ अवतारों को समर्पित है। इस अवधि के दौरान देवी शक्ति के जिन अवतारों की पूजा की जाती है वे हैं मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा का तीसरे अवतार माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और कथा…
मां चंद्रघंटा की कथा
मां चंद्रघंटा का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह अपने माथे पर आधा चांद पहनती हैं। यह भी माना जाता है कि बुराई से लड़ने के लिए उनकी तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है। मां चंद्रघंटा मां दुर्गा का विवाहित अवतार हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा की शादी होने के बाद उन्होंने अपने माथे पर आधा चंद्रमा पहनना शुरू कर दिया। तभी मां चंद्रघंटा की रचना हुई। चंद्रघंटा का अर्थ है वह जिसके पास घंटी के आकार का आधा चंद्रमा हो।
कैसे करें पूजा?
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और फिर मां की पूजा अर्चना करें। मां को पुष्प, अक्षत, लाल चुनरी, सुहाग का सामान आदि अर्पित करें। ऐसा कहा जाता है कि मां को लाल रंग बहुत पसंद है इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें। साथ ही मां को लाल गुलाब अर्पित करें। मां को दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।
मां चंद्रघंटा मंत्र:
ॐ देवी चन्द्रघंटायै नमः॥
पिंडज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥