Monday, June 9, 2025
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पढ़े,कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिया ऐतिहासिक फैसला

बेंगलुरू (Exclusive) कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court)की एक पीठ ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि कानून को इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि नाजायज माता-पिता (illegitimate parents) हो सकते हैं, लेकिन बच्चे कभी भी नाजायज नहीं हो सकते। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीटीसीएल) द्वारा निर्धारित खंड का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की है।

केपीटीसीएल द्वारा जारी 2011 के सर्कुलर में उल्लेखित क्लॉज में कहा गया है कि अगर दूसरी शादी, पहली पत्नी और समाज की जानकारी के बिना गुपचुप तरीके से हुई हो तो दूसरी पत्नी या उसके बच्चे अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने के योग्य नहीं हैं। याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि केपीटीसीएल ने कहा था कि दूसरी पत्नी या उसके बच्चे अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने के योग्य नहीं थे।

याचिकाकर्ता के पिता, जो एक लाइनमैन के रूप में काम करते थे, उनकी जून 2014 में मृत्यु हो गई थी। अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग करने वाले उनके आवेदन को केपीटीसीएल ने खारिज कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने उनकी याचिकाओं को मंजूर नहीं किया। हालांकि, खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया और शिकायत का समाधान किया।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड को दो महीने के भीतर उचित कदम उठाने को कहा। कोर्ट ने बचाव पक्ष को निर्देश दिया गया है कि वे याचिकाकर्ता द्वारा किए गए आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करें।

अदालत ने कहा कि आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर विचार किया जाएगा, क्योंकि कर्मचारी की मृत्यु लगभग सात साल पहले हुई थी।

 

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