Tuesday, April 29, 2025
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विक्रम संवत 2080: इस तारीख से शुरू होगा हिंदू नववर्ष, जानें हिंदू कैलेंडर से जु़ड़ी कुछ खास व महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्ली (TES): ज्योतिषशास्त्र अनुसार, 22 मार्च 2023 से हिंदू कैलेंडर का नया साल विक्रम संवत 2080 शुरू होने वाला है। ये अंग्रेजी कैलेंडर के साल 2023 से 57 साल आगे का होगा। इस शुभ दिन से चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि शुरू होंगे। इस शुभ 9 दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। बता दें, हर साल चैत्र प्रतिपदा तिथि से नए विक्रम संवत का आरंभ होता है, जो इस वर्ष संवत्सर के नाम से जाना जाएगा। इसके राजा बुध ग्रह और मंत्री शुक्र ग्रह माने जाएंगे।

चलिए जानते हैं हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 से जुड़ी खास बातें…

कहा जाता है कि विक्रम संवत की शुरूआत राजा विक्रमादित्य द्वारा हुई थी। राजा विक्रमादित्य ने अपनी विक्रम संवत का आरंभ होने पर अपनी प्रजा को कर्जों से मुक्त कर दिया था। बता दें, विक्रम संवत हर वर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। गणितीय दृष्टि से इस संवत को सटीक काल गणना माना गया है। वहीं नई विक्रम संवत के शुरू होने पर इसे देश के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से बोला जाता है।

हिंदू नववर्ष का पहला माह चैत्र माना जाता है। बता दें, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा लगने पर भी उसके 15 दिनों बाद ही हिंदूओं का नया साल मनाया जाता है। असल में, हिंदू पंचांग के मुताबिक, कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्था तिथि के 15 दिनों तक होता है। कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों में ही चांद धीरे-धीरे घटने लगता है। इसके घटने के क्रम में अंधेरा होने लगता है। वहीं सनातम धर्म का आधार ‘तमसो मां ज्योतिर्गमय्’ हैं। इसका अर्थ हैं अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ना है। इसी कारण चैत्र महीना शुरू होने के 15 दिनों बाद शुक्ल पक्ष लगने वाली प्रतिपदा तिथि पर हिंदू नववर्ष मनाने की प्रथा है। बता दें, अमावस्या तिथि के अगले दिन से चंद्रमा तेजी से बढ़ने लगता है। ऐसे में अंधेरे से प्रकाश होने लगता है।

कहा जाता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि पर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने हिंदू पंचांग की रचना की थी। इसमें उन्होंने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना की थी। इस तिथि पर ही नए पंचांग की शुरूआत होती है। इसी के आधार पर ही
पूरे साल के त्योहार, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त तय किेए जाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन को ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी कारण चैत्र प्रतिपदा तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है।

कहा जाता है कि इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। ऐसे में इस शुभ तिथि को नवसंवत्सर भी कहा जाता है। वहीं चारों युगों में सबसे पहले आने वाले सतयुग की शुरूआत भी इसी तिथि (चैत्र प्रतिपदा) को मानी जाती है। इस तिथि को सृष्टि के कालचक्र की शुरूआत और पहला दिन भी कहा जाता है।

बताया जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर ही श्रीराम ने बाली का वध किया था। ऐसे में उन्होंने उस समय वहां की प्रजा को बाली के अत्याचारों से मुक्त करवाया था। इसकी खुशी वहां की प्रजा ने उत्सव मनाते हुए घर-घर में ध्वज फहरा कर जताई थी।

बता दें, हिंदू नववर्ष को देश के हर हिस्से में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व कहते हैं।

बता दें, चैत्र प्रतिपदा नवरात्रि पर देवी शक्ति की पूजा करने का विधान है। इन दौरान दुर्गा मां के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। वहीं नवमी तिथि को भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके बाद चैत्र पूर्णिमा की तिथि पर श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी की जयंती पड़ती है।

हिंदू कैलेंडर में कुल 12 महीने बताए गए। इनके नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन है।

हिंदू कैलेंडर के सभी 12 महीने नक्षत्र के नामों पर रखे हैं। पूर्णिमा तिथि जो नक्षत्र होता है, उसी के नाम पर हिंदी महीनों के नाम होते हैं। उदाहरण के तौर पर चित्रा नक्षत्र के नाम से चैत्र महीना पड़ा। इसके अलावा विशाखा नक्षत्र के नाम से वैशाख और ज्येष्ठा के नाम से ज्येष्ठ महीना पड़ा।

 

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