

घर की बाहरी दीवारों के लिए हल्के नीले, सफेद, पीले, नारंगी, क्रीम और अन्य हल्के रंगों का उपयोग करना चाहिए। हर कमरे और उसकी दीवार का रंग वास्तु के अनुसार ही चुनना चाहिए क्योंकि रंग हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। पर्दे, चादर और तकिये के कवर का रंग दीवारों के रंग के अनुरूप होना चाहिए। अगर आप इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो आप अपने जीवन में आने वाली कई समस्याओं से बच सकते हैं।
उत्तरी दीवार
घर के उत्तरी भाग माता लक्ष्मी का स्थान है इसलिए वास्तु के अनुसार, इसकी सजावट के लिए हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। आप यहां आसमानी रंग का उपयोग भी कर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।
उत्तर-पूर्वी दीवार
उत्तर-पूर्व को ‘ईशान कोण’ भी कहा जाता है। यह दिशा भगवान शिव की दिशा मानी जाती है। इस दिशा की दीवारें आसमानी, सफेद या बैंगनी रंग की होनी चाहिए। हालांकि, पीले रंग का भी उपयोग किया जा सकता है क्योंकि यह देवी-देवताओं का निवास है।
दक्षिण-पूर्व की दीवार
घर का दक्षिण-पूर्व भाग अग्नि तत्व का माना जाता है। इस तरफ सजावट के लिए नारंगी, पीला या सफेद रंग का प्रयोग किया जा सकता है।
दक्षिणी दीवार
दक्षिण दिशा के लिए नारंगी रंग का यूज करना चाहिए। इससे ऊर्जा और उत्साह बना रहेगा। अगर यहां शयनकक्ष है तो गुलाबी रंग पर विचार किया जा सकता है।
दक्षिण-पश्चिम दीवार
दक्षिण-पश्चिम दीवार या कमरे को ‘नैऋत्य कोण’ भी कहा जाता है। यहां भूरे, ऑफ-व्हाइट या हरे रंग का उपयोग किया जा सकता है।
पश्चिमी दीवार
पश्चिमी दीवार या कमरे के लिए नीले रंग की सलाह दी जाती है। आप यहां नीले रंग के साथ थोड़ी मात्रा में सफेद रंग का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसे ‘वरुणदेव’ का स्थान भी माना जाता है, जो जल के देवता हैं।
उत्तर-पश्चिम दीवार
इसे ‘वायव्य कोण’ कहा जाता है। इस दिशा में ड्राइंग रूम के लिए हल्के भूरे, सफेद या क्रीम रंग का यूज किया जा सकता है।