दिल्ली (Exclusive): चीन और भारत के संबंधों की अगर बात करें तो शुरू से ही बेहद तनावपूर्ण और मुश्किलों भरे रहे हैं। भारत में गलवान घाटी में हुए हमले के बाद से ही चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं।
इतना ही नहीं भारत भी मुंह तोड़ जवाब के लिए तैयार हो चुका है। सूत्रों की मानें तो भारत ने भारत-चीन सीमा के ब्लूमबर्ग में करीब 50,000 और सैनिकों की तैनाती कर दी है।
इसे ड्रैगन के खिलाफ भारत के बेहद सख्त रुख के तौर पर देखा जा रहा है। चीन अपनी घटिया कारस्तानी और बयानबाजी को लेकर हमेशा भारत के खिलाफ दिखाई देता है। ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से अब भारत चीन सीमा पर और मजबूती लाने के कदम उठाए जा रहे हैं ताकि विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
गौरतलब है कि इस बारे में पहले की सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया था। जहां भारत चीन सीमा पर पिछले 40 साल पुराने लड़ाकू वाहनों को बदलने का फैसले लिए गए हैं। सीमा विवाद को लेकर चीन से जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख समेत विभिन्न सीमाओं पर अब यह पुराने लड़ाकू वाहनों को बदला जाएगा।
घरेलू स्तर पर होगा इनका निर्माण
सेना के सूत्रों ने बताया कि इन वाहनों का निर्माण देश में ही करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए बुधवार को सेना की तरफ से निर्माताओं से प्रस्ताव मांगे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार सेना के पास करीब 1700 ऐसे वाहन हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर 1980 के दशक के बीएमपी व्हीकल हैं जो रूस से लिए गए थे। ऐसे में इनको बदलना समय की मांग के साथ साथ सीमा पर जारी तनातनी भी है। हालांकि सूत्रों की मानें तो अभी यह प्रक्रिया करते-करते एक-दो साल और लग सकते हैं। बुलेट प्रूफ होने के साथ-साथ यह वाहन भारी मात्रा में हथियार और अन्य सेना की जरूरत का सामान कैरी कर सकते हैं।