नई दिल्ली (Exclusive): भारत इतिहास रचने के कुछ ही कदम दूर है। दरअसल, भारत का तीसरा चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम कुछ ही देर में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, जिसपर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। वहीं, ‘विक्रम’ लैंडर से ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर निकलकर चंद्रमा की सतह से कई सैंपल जुटाएगा।
बता दें कि कोई भी देश अभी तक पृथ्वी के नैचुरल सैटेलाइट (चंद्रमा) के इस हिस्से पर नहीं पहुंच पाया है। हाल में रूस ने अपने चंद्र मिशन ‘लूना-25’ से यहां पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन वह क्रैश हो गया और उसका मिशन फेल हो गया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग भारत को स्पेस पॉवर बनाएगी भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन चांद के इस हिस्से में प्रवेश कर चुका है।
आइये जानते हैं इस मिशन से जुड़ी कुछ बड़ी बातें…
1. चंद्रयान-3 मिशन के लिए करीब 600 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। MOX/ISTRAC पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण बुधवार शाम 5:20 बजे शुरू होगा। हालांकि, इसरो ने कहा कि अगर कोई हेल्थ पैरामीटर असामान्य पाया गया तो लैंडिंग में 4 दिन की देरी यानी 27 अगस्त को लैंड करवाया जाएगा।
2. इसरो अधिकारियों का कहना है कि लैंडिंग प्रक्रिया के 17 मिनट सबसे मुश्किल वाले होंगे क्योंकि इस दौरान पूरी प्रक्रिया ऑटोनॉमस होगी। लैंडर को अपने इंजनों को सही समय और ऊंचाई पर शुरु करना होगा।
3. स्पेस सेंटर के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए करीब 30 कि.मी. की ऊंचाई पर लैंडर संचालित ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करेगा। फिर वह अपनी गति को धीरे-धीरे कम करके सतह तक पहुंचने के लिए 4 थ्रस्टर इंजनों को रेट्रो फायरिंग के जरिए यूज करेगा। बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से लैंडर को कोई नुकसान ना हो।
4. वैसे तो इसमें चार इंजन है लेकिन 6.8 km की ऊंचाई पर सिर्फ 2 इंजनों का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि उतरते समय लैंडर आगे की ओर जोर दे। इसके बाद लैंडर अपने सेंसर और कैमरों से सतह को स्कैन करेगा। अगर कोई प्रॉब्लम नहीं हुई तो सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए लैंडर को नीचे उतारा जाएगा।
5. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि लैंडिंग का सबसे अहम हिस्सा लैंडर के वेग को 30 कि.मी. की ऊंचाई से फाइनल लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को Horizontal से Vertical दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता होगी।
6. लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू (यथास्थान) रासायनिक विश्लेषण करेगा। चंद्रमा की सतह पर प्रयोगों को करने के लिए लैंडर और रोवर के पास वैज्ञानिक पेलोड हैं.
7. इसरो प्रमुख के मुताबिक, सूरज के रहने तक तो सिस्टम में शक्ति रहेगी लेकिन इसके बाद घोर अंधेरा होगा। तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाएगा, इसलिए सिस्टम का जीवित रहना मुश्किल होगा। अगर यह जिंदा रहता है तो इसपर काम किया जा सकेगा।
8. पर्यावरण और उनकी कठिनाइयों के कारण चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र बहुत अलग इलाके हैं, इसलिए यह अभी तक अज्ञात हैं। मगर, इसके आसपास स्थाई रूप से छाया वाले इलाकों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है इसलिए इसकी खोज की जा रही है।
9. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे और पहियों पर इसरो के लोगो के साथ छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर 4 घंटे के बाद लैंडर की बेली से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए उपकरण हैं। यह चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना के संबंधित डेटा इकट्ठा करके लैंडर को डेटा भेज देगा। लैंडर चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज को मापेगा।