जालंधर (TES): वास्तु व ज्योतिषशास्त्र में भी रसोईघर का खास महत्व है। माना जाता है कि यहां पर मां अन्नपूर्णा का वास होता है। मां अन्नपूर्णा को देवी लक्ष्मी का ही दूसरा रूप माना जाता है। ऐसे में रसोईघर में पड़ी हर चीज का खास व अलग महत्व है। वहीं इसमें इस्तेमाल होने वाला चकला-बेलन भी बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
ज्योतिष व वास्तुशास्त्र अनुसार, इससे रोटी बनाते समय व रख-रखाव में कई सावधानियां बरतनी चाहिए। नहीं तो परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…
इस दिन खरीदना शुभ
अगर आप लकड़ी का चकला-बेलन खरीदने की सोच रहे हैं तो इसे बुधवार या गुरुवार के दिन लें। मंगलवार और शनिवार को चकला-बेलन खरीदने से बचना चाहिए।
खरीदते समय रखें ध्यान
इसे खरीदते समय ध्यान दें कि चकला कहीं से ऊंचा-नीचा ना हो। रोटी बनाते समय चकले से आवाज नहीं आनी चाहिए। वास्तु अनुसार, इससे आवाज आने से वास्तुदोष उत्पन्न होता है। ऐसे में इसे खरीदने में जल्दबाजी न करें।
ऐसा चकला-बेलन तुरंत बदले
अगर आपके पुराने चकले-बेलन से रोटी बनाने समय आवाज तो उसे तुरंत बदल लें। इससे वास्तुदोष होने के साथ गृह क्लेश बढ़ता है। इसके अलावा धन हानि होने का खतरा रहता है। ऐसे में इसे तुरंत बदलने में ही भलाई है।
चकला-बेलन रखने का सही तरीका
वास्तु अनुसार, चकला-बेलन इस्तेमाल करने के बाद इसे हमेशा धोकर व सुखाकर ही रखना चाहिए। इसे इस्तेमाल करने के बाद गंदा छोने से घर का वास्तु खराब होता है। इससे मां अन्नपूर्णा की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।