नवरात्रि के नौ दिन बहुत शुभ माने जाते हैं। इस दौरान माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जिन्हें तपस्या की देवी के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि दिवस 2 मां ब्रह्मचारिणी: महत्व
दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। सफेद साड़ी, बाएं हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में माला लिए देवी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी त्रिक चक्र की देवी हैं और वह मंगल ग्रह का नेतृत्व करती हैं।
इस शुभ दिन पर व्रत रखने और देवी की पूजा करने से भक्त शक्ति, ऊर्जा और खुशी प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो लोग मंगल दोष से पीड़ित हैं, उन्हें यह व्रत रखने और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया और उन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए कठोर तपस्या की। वह एक हजार वर्षों तक फल-फूल और एक सौ वर्षों तक जड़ी-बूटियां खाकर जीवित रहीं, फिर तीन हजार वर्षों तक बिल्व पत्र की टूटी पत्तियां खाकर जीवित रहीं।
हजारों वर्षों तक बिना पानी और भोजन के तपस्या करने लगीं। अपनी कठोर तपस्या के कारण वह कमजोर हो गईं। देवी की इस स्थिति को देखकर सप्तऋषि, अन्य सभी देवता चिंतित हो गए और उन्होंने देवी को आशीर्वाद दिया कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। उन्हें भगवान चंद्रमौलि शिव अवश्य पति के रूप में मिलेंगे।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान कर साफ कपड़े पहनें। मां के सामने देसी घी का दिया जलाए और उन्हें फल व लाल रंग फूल, सिंदूर व श्रृंगार का सामान अर्पित करें। मां को घर की बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।