

नई दिल्ली (Exclusive) केंद्रीय कृषि कानूनों (Central Agricultural Laws)के खिलाफ टिकरी (Tikri) और सिंघू (Singhu) बार्डर पर चल रहे किसान संगठनों (Farmer’s Organizations) के आंदोलन (Agitation) में दरार (Rift)पड़ गई है। लगभग आठ महीने से चल रहे आंदोलन में किसान संगठनों और किसान नेताओं के बीच टकराव (Conflict) अब खुलेआम (Openly) सामने आ गया है।
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्ता मोर्चा से किनारा कर लिया है और मोर्चा से अलग होने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही उन्हों ने किसान नेताओं योगेंद्र यादव और शिवकुमार पर निशाना साधा है।
हरियाणा से आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग होने के साथ ही अपने साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया।
दरअसल पंजाब के ही चार संगठनों द्वारा चढूनी के नेतृत्व में सक्रियता दिखाना संयुक्त किसान मोर्चे के कुछ नेताओं को अखर गया तो इन चारों संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से चढूनी बिफर गए।
उन्होंने अपने बयान में संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं की तीखी आलोचना की। उनके निशाने पर पंजाब के संगठन हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में पहले दिन से मेरे साथ भेदभाव हो रहा है। कई घटनाएं ऐसी हुई, जब मुझे बाहर करने की कोशिश की गई। मगर जब वही गतिविधि किसी और ने की तो उनके खिलाफ मोर्चा ने कोई एक्शन नहीं लिया।
पंजाब की चार जत्थेबंदी हमारे साथ जुड़ी थीं। जो डेरा बाबा नानक से बड़ा जत्था लेकर आए थे। चढ़ूनी ने कहा कि इनकी गलती सिर्फ ये थी कि ये चारों संगठन मेरे नेतृत्व में जत्था लेकर आए थे। आज चारों को मीटिंग से बाहर निकाल दिया गया। मेरे ऊपर दो बार कार्रवाई की गई, अब इन चारों को मेरे साथ जुड़ने पर इनके खिलाफ कार्रवाई हुई।
यहां तक कि हमारे जत्थे का स्वागत करने वालों को भी 15 दिनों के लिए निकाल दिया गया था। चढूनी ने योगेंद्र यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह कई राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त रहे। संसद के बाहर जंतर-मंतर पर भी बिहार के नेता को शामिल किया गया। उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।