नई दिल्ली (Exclusive): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों,शिक्षा सचिवों, राज्य परीक्षा बोर्डों के अध्यक्षों, हितधारकों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में बारहवीं कक्षा की परीक्षा और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के प्रस्तावों पर चर्चा हुई।
बैठक में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी भी मौजूद थे। बैठक में परीक्षाओं को लेकर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हो पाया है। बैठक में सीबीएसई ने कहा कि जून के आखिरी हफ्ते में परीक्षा का आयोजन करवा सकते हैं।
सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राज्यों को अपने सुझाव दो दिन में लिखित में भेजने को कहा है। उसके बाद 30 मई तक फैसला किया जा सकता है।बैठक में विभिन्न शिक्षा मंत्रियों ने और अधिकारियों ने अपने विचार रखे। ज्यादातार राज्य परीक्षाओं के सुरक्षित आयोजन के पक्ष में हैं।
हालांकि, परीक्षा पैटर्न में बदलाव किए जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि परीक्षाओं ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे और संक्षिप्त उत्तरात्मक प्रश्न पूछे जाएंगे। वहीं, 12वीं बोर्ड में भी केवल प्रमुख विषयों की ही परीक्षाएं कराई जाएंगी।बताया जा रहा है कि दिल्ली को छोड़कर सभी राज्य 12वीं की परीक्षा के लिए सहमत थे।
इस बैठक से पहले ट्विटर पर #cancelboardexams टॉप ट्रेंड में रहा। करीब 1.72 लाख ट्वीट हुए और बोर्ड एग्जाम्स कैंसिल करने की मांग उठी।
निशंक ने एक ट्वीट में लिखा यह लाखों स्टूडेंट्स के करियर को प्रभावित करने वाला फैसला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) चाहते हैं कि यह फैसला सभी राज्य सरकारों व अन्य भागीदारों के साथ विचार-विमर्श करके लिया जाए।
बच्चों से परीक्षा देने की अपेक्षा करना असंवेदनशील: प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने सीबीएसई बारहवीं के विद्यार्थियों के लिए जताई चिंता
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि सीबीएसई 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी लगातार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान होने वाली इन परीक्षाओं के बारे में अपनी चिंताओं को साझा कर रहे हैं।
उनका स्वास्थ्य और सुरक्षा मायने रखती है। हम अपना सबक क्यों नहीं सीख रहे हैं? एक बंद जगह पर लोगों की भीड़ जमा करने से कोरोना संक्रमण और बढ़ेगा।
प्रियंका गांधी आगे लिखती हैं कि बच्चे कोरोना महामारी की वजह से पहले से ही बहुत परेशान हैं, उनसे यह अपेक्षा करना कि वह इतने लम्बे समय तक मास्क, शील्ड व अन्य सुरक्षा कवच पहनकर परीक्षा में बैठें, यह असंवेदनशील और अनुचित है। मैं यह पहले भी कह चुकी हूं और फिर से दोहरा रही हूं।
बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की उनका शारीरिक स्वास्थ्य। अब समय आ गया है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में बच्चों की स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता को शामिल करना और इन मुद्दों को गंभीरता से लेना शुरू किया जाए।