चंडीगढ़(Exclusive) पंजाब (Punjab) के जालंधर (Jalandhar) जिले में दिव्य ग्राम (Divya Village) नाम का एक गांव है। हालांकि यह गांव किसी सरकारी (Government) रिकॉर्ड (Records)में ही नहीं है, फिर भी इस गांव की पंचायत(Panchayat)के नाम पर पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड (Punjab Infrastructure Development Board) ने 13वें और 14वें वित्त आयोग, एमपी लैड, मनरेगा आदि के फंड (Fund)जारी किए।
यह गजब हेराफेरी का मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंचा है। मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब की मुख्य सचिव सहित पंचायत विभाग, जालंधर के डीसी और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को सात सितंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।
हाई कोर्ट ने यह नोटिस नूरमहल के पूरन सिंह और गुरनाम सिंह द्वारा दायर याचिका पर किया। दायर याचिका में दोनों याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट को बताया है कि यहां दिव्य ग्राम नाम का कोई गांव ही नहीं है। ऐसा कोई गांव सरकार के रेवेन्यू रिकार्ड में भी नहीं है। फिर भी इस गांव की पंचायत के नाम पर पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने 13वें और 14वें वित्त आयोग, एमपी लैड, मनरेगा आदि के फंड जारी किए जा रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने इस गांव के बारे में आंकड़े जुटाने के लिए पहले पीएसपीसीएल से आरटीआइ से इसकी जानकारी मांगी की इस गांव में उनकी ओर से कितने बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं।
इसके जवाब में पीएसपीसीएल ने बताया कि उनका वहां कोई ट्रांसफार्मर ही नहीं है। इसके बाद तहसीलदार से इस गांव के बारे में जानकारी मांगी गई। तहसीलदार ने जवाब में बताया कि ऐसा कोई गांव सरकार के लैंड रिकार्ड में नहीं है।
वहीं, बीडीपीओ से जानकारी मिली तो पता चला कि इस गांव को 2015-16 से 2019-20 के बीच पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के 13वें और 14वें वित्त आयोग, एमपी लैड, मनरेगा आदि की ग्रांट जारी हुई है।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने पिछले साल पांच मार्च को लीगल नोटिस भेज कार्रवाई की मांग की थी। इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लिहाजा अब इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर हाई कोर्ट से गुहार लगाई है।
हाई कोर्ट ने याचिका पर पंजाब सरकार सहित सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।