

नई दिल्ली (Exclusive): केंद्रीय माल एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों ने 551 करोड़ रुपये के जाली बिल (counterfeit bill) निकालने और गलत तरीके से 91 करोड़ रुपये का इनपुट कर क्रेडिट आगे देने वाली 23 इकाइयों का भंडाफोड़ किया है।
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने बयान में कहा कि खुफिया सूचना के आधार पर केंद्रीय माल एवं सेवा कर (central goods and services tax) आयुक्तालय, दिल्ली (पश्चिम) की कर निरोधक शाखा ने जाली बिलों के जरिए 91 करोड़ रुपये का इनपुट कर क्रेडिट आगे देने के मामले का भंडाफोड़ किया है।विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, केंद्रीय माल और सेवा कर (CGST) आयुक्तालय, दिल्ली (पश्चिम) की चोरी-रोधी शाखा के अधिकारियों ने लगभग 91 करोड़ रुपये के माल रहित चालान के माध्यम से अस्वीकार्य इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लाभ/उपयोग और पारित करने के फर्जी मामले का पता लगाया है।
इस मामले में अस्वीकार्य क्रेडिट का लाभ उठाने/इनका उपयोग करने और पारित करने की कार्य-प्रणाली में कई फर्में शामिल थीं। इस मामले में शामिल कंपनियों में मेसर्स गिरधर एंटरप्राइजेज, मेसर्स अरुण सेल्स, मेसर्स अक्षय ट्रेडर्स, मेसर्स श्री पद्मावती एंटरप्राइजेज के अलावा 19 अन्य इकाइयां शामिल हैं। इन 23 कंपनियों का गठन बिना माल की बिक्री के बिल निकालने और आगे आईटीसी देने के लिए किया गया था। मंत्रालय ने कहा कि स्वर्गीय दिनेश गुप्ता, शुभम गुप्ता, विनोद जैन और योगेश गोयल जाली इन्वॉयस निकालने के धंधे से जुड़े थे। इन आरोपियों ने स्वैच्छिक रूप से अपना बयान देकर दोष स्वीकार कर लिया है। तीन आरोपियों को 10 जुलाई को सीजीएसटी कानून में धारा 132 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।दिल्ली जोन जीएसटी की चोरी को रोकने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, वर्तमान वित्त वर्ष में 91.256 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता लगाया है। और इन मामलों में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।