

भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर क्षेत्र में स्थित है। खाटू श्याम जी भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र हैं। पहले उन्हें बर्बरीक के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर में खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए कई भक्त एकत्रित होते हैं। मान्यता है कि खाटू श्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं।
बाबा खाटू श्याम का दूसरा नाम “हारे का सहारा” भी है। हर साल बाबा खाटूश्याम जी का जन्मदिन और लक्खी मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
खाटू श्याम या लक्खी मेले की तिथि
हिंदू फाल्गुन मास में आज 12 मार्च से श्री खाटू श्याम मेला शुरू हो गया है, जोकि 21 मार्च 2024 तक चलेगा। यह मेला शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि तक चलने वाला है। खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 मार्च 2024 को पड़ रही है।
लक्खी मेले की खासियत
वित्र हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना सिर दिया था। कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद बर्बरीक ने खाटू श्याम जी नाम अपना लिया। इस महोत्सव के दौरान श्याम बाबा के दरबार मंडप में राम दरबार की झांकियां सजाई जाएंगी। इसके अलावा, मंदिर के गर्भगृह में अनूठी सजावट शामिल होगी। भक्त इस समय खाटू श्याम जी के मनमोहक श्रृंगार दर्शन भी कर सकेंगे।
लक्खी मेला देखने के महत्वपूर्ण नियम
अगर आप भी बाबा श्याम के लक्खी मेले में जाने का प्लान बना रहे हैं तो कुछ दिशानिर्देश का पालन करना जरूरी है। दरअसल, सीकर के कलेक्टर कमर उल जमाल चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ चीजों पर रोक लगा दी गई है।
– इस बार भक्त बाबा खाटूश्याम मेले में आठ फीट से अधिक ऊंचा निशान नहीं लगा सकेंगे।
– मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए कांच की शीशी लाने और डीजे पर भी रोक लगा दी गई है।
– इस बार श्रद्धालुओं को जूते-चप्पल गाड़ी में ही उतारकर आना पड़ेगा।
– बाबा श्याम तक जाने के लिए ट्रेल आगंतुकों को रिंग रोड का उपयोग करना होगा। एक बार जब बाबा श्याम को सुजानगढ़ का निशान मिल जाता है, तो मेला समाप्त माना जाता है।
– मेले के दौरान श्याम कुंड भी हर समय बंद रहेगा।