नई दिल्ली (Exclusive): भारत के बेहतरीन पहलवान बजरंग पुनिया ने पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के सहयोगी के महासंघ के अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपना पद्म श्री लौटा दिया है। वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके आवास स्थान पर गए थे लेकिन जब पुलिस वालों ने उन्हें रोका तो वह पद्मश्री रास्ते में ही रख आए।
ओलंपिक पदक विजेता ने इससे पहले दिन में एक्स पर पोस्ट किया था कि वह विरोध स्वरूप पद्मश्री लौटा देंगे। फिलहाल पुलिस कर्मियों ने पत्र और पद्मश्री पदक दोनों उठा लिए। मगर, पुनिया ने निराशा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि सरकार विरोध प्रदर्शन के दौरान पहलवानों से किए गए अपने वादे को निभाने में विफल रही।
बता दें कि उनकी घोषणा साक्षी मलिक के एक संवाददाता सम्मेलन में रोने और कुश्ती छोड़ने की घोषणा के एक दिन बाद आई। बता दें कि उन्होंने यह फैसला साक्षी मलिक द्वारा बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप की वजह से लिया है।
बजरंग पुनिया ने कहा, “जैसा कि मैंने पहले कहा है कि हम अपनी बेटियों और बहनों के लिए लड़ रहे थे। मैं उन्हें न्याय नहीं दिला सका। इसके कारण, मुझे लगता है कि मैं इस सम्मान के लायक नहीं हूं। मैं यहां अपना पुरस्कार लौटाने आया था। हालांकि, मैं नहीं पीएम के साथ मिल सका क्योंकि मेरे पास अपॉइंटमेंट नहीं था। पीएम का कार्यक्रम व्यस्त है इसलिए मैं अपना पुरस्कार पीएम को लिखे पत्र पर रख रहा हूं। मैं यह पदक अपने घर नहीं ले जाऊंगा।”
उन्होंने कहा , “हम सरकार के खिलाफ नहीं लड़ रहे हैं। सरकार अपने वादों और बयानों को पूरा करने में विफल रही है। हम पहले ही कह चुके हैं कि बृजभूषण एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं और उनके अधीन काम करने वाले लोग हर जगह हैं।”
इससे पहले बजरंग पुनिया ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि वह डब्ल्यूएफआई चुनाव के नतीजों पर विरोध स्वरूप अपना पद्मश्री लौटा रहे हैं। जहां डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।
गौरतलब है कि साक्षी मलिक ने डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाएं है। उन्होंने गुरुवार को घोषणा की कि बृज भूषण के सहयोगी संजय सिंह को महासंघ के नए अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के बाद वह कुश्ती छोड़ रही हैं।