

पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू शुरू हो चुके हैं, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज किसी पशु, पक्षी या जानवर के रूप में धरती पर जल ग्रहण करने आते हैं। उनकी आत्मा तृप्ती के लिए लोग श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि करते हैं। मगर, पितरों को प्रसन्न करने के दौरान घर के भगवान का ध्यान जरूर रखना भी जरूरी है।
धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में कोई शुभ अथवा मांगलिक काम करना वर्जित है। इस दौरान पितरों को ही पूजनीय माना जाता है। ऐसे में बहुत से लोग सोचते हैं कि इस दौरान क्या देवी-देवाताओं की पूजा में कोई बदलाव करना चाहिए।
घर में कैसे करें पूजा-अर्चना?
बहुत से लोग ऐसे हैं जो श्राद्ध के दिनों में मंदिर के दरवाजे बंद कर देते हैं। मगर, पंडितों की माने तो इस दौरान पितर पूजनीय होते हैं लेकिन भगवान की सेवा भी रोज की तरह ही करनी चाहिए। भगवान को स्नान करवाएं, शृंगार करें और उनकी पूजा करें।
यह भी ध्यान रखें
पितृपक्ष के दौरान भगवान की पूजा के बाद पितरों का स्मरण जरूर करें। भगवान को भोग लगाते समय भी पितरों को याद करें। इसके अलावा कुत्ता, कौवा और पक्षियों के लिए भोग निकालना ना भूलें। परिवार के सभी सदस्यों को भोग जरूर ग्रहण करवाएं।
इन बातों का रखें खास ख्याल
वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीर को भगवान के साथ या मंदिर में नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। साथ ही इससे पितर भी नाराज होते हैं। इसके अलावा मृत लोगों की तस्वीरें बेडरूम में भी नहीं लगानी चाहिए।