

विटामिन डी शरीर के लिए बहुत जरूरी है, जो हड्डियों, नर्वस सिस्टम, इम्यून सिस्टम और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी रिसेप्टर्स मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में मौजूद होते हैं और मूड नियामकों को प्रभावित करते हैं। विटामिन डी की कमी हड्डियों और मांसपेशियों में दिक्कत पैदा कर सकती है लेकिन क्या इससे डिप्रेशन भी हो सकता है?
क्या कहती है रिसर्च?
अध्ययनों के मुताबिक, विटामिन डी की कमी और अवसाद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शोध में पाया गया है कि अवसाद से पीड़ित व्यक्तियों के रक्त में अक्सर विटामिन डी का स्तर कम होता है। विटामिन डी की कमी को गठिया, पुरानी रीढ़ की हड्डी की चोटों, स्ट्रोक और मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित लोगों में अवसाद से भी जोड़ा गया है, जो विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में इसकी संभावित भूमिका का सुझाव देता है।
नई माताओं को होती है दिक्कत
शोधकर्ताओं ने मौसमी अवसाद तथा सूरज की रोशनी की कमी के बीच एक संबंध पाया है। अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान कम विटामिन डी का स्तर प्रसवोत्तर अवसाद से जुड़ा हो सकता है, जो बच्चे के जन्म के बाद के हफ्तों और महीनों में नई माताओं को प्रभावित करता है।
कितनी आम है विटामिन डी की कमी?
दुनिया भर में विटामिन डी की कमी लगभग 1 अरब लोगों में देखने को मिलती है। अमेरिका में लगभग 35 प्रतिशत वयस्कों में विटामिन डी की कमी है जबकि भारत में भी 50 से 60 प्रतिशत लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं।
विटामिन डी की कमी के लक्षण?
-झुकी हुई या मुड़ी हुई हड्डियों के कारण गलत बॉडी पोस्चर
-मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द या फिर ऐंठन
-हड्डी में दर्द
-थकान
-मूड में बदलाव या डिप्रेशन