Sunday, June 8, 2025
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देश में कानून में होगा बदलाव, रेप पर मौत की सजा, लापरवाही से हत्या हुई तो ये सजा

नई दिल्ली (Exclusive): अंग्रेजों के जमाने से चल रहे भारत के कानून सिस्टम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक पेश किया। विधेयके के पारित होने के बाद ये तीनों कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा।

यह बात गौर लायक है कि ये कानून 1860 से लेकर 1872 के बीच लागू हुए थे और तब से अभी तक वैसे ही चल रहे थे। कई कानूनी विशेषज्ञों ने शुक्रवार को सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह कानून देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करेगा क्योंकि इन पुराने प्रमुख आपराधिक कानूनों में संशोधन की सख्त जरूरत थी।

नए बदलाव

  • केंद्र मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान करेगा। मॉब लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की जेल से लेकर मृत्युदंड तक की सज़ा होगी। नये कानून में हत्या की परिभाषा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ प्रावधान जोड़ा गया है। नए प्रावधान में कहा गया है कि जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
  • राजद्रोह कानून “निरस्त कर दिया गया है”। प्रस्तावित कानून में “देशद्रोह” शब्द नहीं है। शाह ने कहा, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए इसे धारा 150 से बदल दिया गया है।
  • देशद्रोह की सजा में बदलाव का भी ऐलान किया गया। मौजूदा कानून के तहत, राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। नए विधेयक के प्रावधानों में इसे तीन से सात साल की कैद में बदलने का प्रस्ताव है।
  • नए विधेयक में रेप के मामलों में सजा बढ़ाई गई है। इसमें न्यूनतम सज़ा जो पहले 7 साल थी, अब 10 साल कर दी गई है।
  • नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में नया कानून बनाया गया है। लिहाजा नाबालिग के साथ रेप की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया। यह आजीवन कारावास की सजा है। रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है। इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • नए कानून के तहत नाबालिग से गैंगरेप पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
  • रेप विक्टिम्स की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है।
  • अप्राकृतिक यौन अपराध (UNNATURAL SEXUAL OFFENCES) धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। लिहाजा पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है। पाशविकता के विरुद्ध कोई कानून नहीं है। नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत फैसले में कहा था कि “सहमति देने वाले वयस्कों” पर “अप्राकृतिक कृत्यों” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
  • बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए नया चैप्टर शामिल किया गया है। इसमें परित्याग, बच्चे के शरीर का निपटान और बाल तस्करी आदि शामिल हैं।
  • लापरवाही से मौत की सजा 2 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है।
  • आतंकवाद के खिलाफ नए कानून यानी मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
  • नए कानून के तहत भारत में सजा के नए रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है।
  • IPC में बदलाव के तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नया चैप्टर शामिल किया गया है।
  • मैरिटल रेप एक ऐसा अपवाद है जो कि अभी तक अछूता है। भारत में वैवाहिक बलात्कार अभी भी अपराध नहीं है।
  • इसके साथ ही चुनाव संबंधी अपराधों पर भी कानून लाया गया है, इसमें चुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने पर एक साल की कैद का प्रावधान है।
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