

जालंधर(TES): कोई ट्रैवल एजैंट हो या बड़ी इमारत का निर्माण कर रहा हो, एक “मिश्रा जी” का फोन आता था जो मिश्री से लेकर नीम तक, सबके गुण जानते थे। बड़े स्टाइल में बात करते और अपनी डिमांड रख देते। “मिश्रा जी” के पूरे ठाठ थे। आलीशान कोठी, आलीशान कार और आलीशान ड्राईक्लीन किए हुए सफेद कुर्ते।
“मिश्रा जी” जी की जुबान वैसे बड़ी मिश्री भरी थी लेकिन सामने वाला न मानता और डिमांड पूरी न करता तो “मिश्रा जी” नीम जैसे हो जाते। कभी नीम नीम कभी शहद शहद…!
हर ग्राहक के लिए “मिश्रा जी” के दो प्लान होते। प्लान ए और प्लान बी। दोनों तैयार रखते। पहले प्लान ए में सीधे बात करते। बंदा मान जाता तो ठीक नहीं तो प्लान बी शुरू। प्लान बी थोड़ा टेड़ा रहता। इसमें मशक़्क़त ज्यादा रहती और हिस्सेदार भी ज्यादा।
बक़ायदा शिकायत की जाती। जहां शिकायत होती, वहां के संबंधित बाबू को “भाईवाल” बना लेते “मिश्रा जी”। अब सारे भाईवाल तो एक जैसे नहीं होते ना, कुछ स्याने भी तो होते हैं। बस “मिश्रा जी” को स्याने ही टकरे। पहले भी कुछ सामियां तलाश कर इनकम जनरेट कर ली थी “मिश्रा जी” ने।
लेकिन इस बार कुछ गलत हो गया। राहु काल में बाठ कैसल के मालिकों के लिए जाल बिछा डाला शायद जिसके कारण लेने के देने पड़ गए। सूर्य जैसा तेज और गुलाब जैसी ख़ुशबू, यानि कि रवि पंकज, जी हां वही नगर निगम वाले बड़े बाबू जो इस मामले में “मिश्रा जी” के स्याने भाईवाल थे, वह भी फंस गए। साथ में कहते हैं कि एक अन्य भाईवाल भी जो बेचारे खुद फंस गए “मिश्रा जी” के चक्कर में। उन्होंने तो दुकान भी अभी अभी खोली थी।
10 लाख में बाठ कैसल वालों के साथ डील हुई दो। दो लाख रुपए पेशगी “मिश्रा जी” के भाईवाल को दे दिए गए थे जो बंटे तो होंगे की, बेशक! बाकी की राशि जिसकी डील हुई थी, मंगलवार की रात को दी जानी थी। जगह तय हो गई, बीएमसी चौक। बस फिर क्या था, लग गया ट्रैप। “मिश्रा जी” मन ही मन में खुश थे कि आज तो अच्छी इनकम हो जाएगी जो शायद किसी आम नागरिक की 6-7 महीने की सैलरी होगी। उन्हें क्या पता था कि जो काम राहु काल में शुरू हुआ वो अपना असर तो दिखाएगा।
इधर पैसे पकड़े उधर से भ्रष्टाचार की विरोधी सरकार की विजिलेंस टीम ने दबिश डाल दी। फिर क्या था, “मिश्रा जी” भागने का रास्ता ढूँढें। पहले दूसरों के लिए ट्रैप लगाते थे, आज अपना लग गया और “मिश्रा जी” चढ़ गए विजिलेंस के हत्थे। कहते हैं इस भागदौड़ में “मिश्रा जी” की ख़ातिरदारी भी पूरी हुई। अब कुछ दिन “मिश्रा जी” और उनकी टीम का कैंप ऑफिस मोहाली रहेगा क्योंकि “ वक्त तो लगता है”। इस बार बैसाखी तो होगी, दीवाली भी होगी लेकिन शायद “मिश्रा जी” की फेवरट “धीयां दी लोहड़ी” नहीं होगी। अब देखें “मिश्रा जी” की ये वीडियो:-