Saturday, November 16, 2024
Trulli
HomeLatestमहाशिवरात्रि 2023: रात्रि के चार प्रहर में होती है...

महाशिवरात्रि 2023: रात्रि के चार प्रहर में होती है शिवजी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जालंधर (TES): ज्योतिषशास्त्र अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर महादेव और मां पार्वती का पुर्नमिलन हुआ था। ऐसे में आज ही के दिन उनकी शादी हुई थी। इस साल ये शुभ पर्व 18 फरवरी 2023 को पड़ रहा है। इन दिन सुबह मंदिर में शिवजी की पूजा करने के साथ चार प्रहर की पूजा करने का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि इस चार प्रहर की पूजा करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। ऐसे में भगवान जी अपनी असीम कृपा अपने भक्त पर रखते हैं। चलिए आज हम आपको शिवरात्रि के शुभ अवसर पर इसके चार प्रहर का शुभ मुहूर्त और पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के बारे में विस्तार से बताते हैं…

महाशिवरात्रि चार प्रहर के शुभ मुहूर्त

भले ही महाशिवरात्रि पर्व पर सुबह शिवलिंग पर जल चढ़ाकर पूजा की जाती है। मगर रात्रि के चारों प्रहर में पूजा करने का विशेष महत्व है। चलिए जानते हैं इस चार प्रहर पूजा का शुभ मुहूर्त…

प्रथम प्रहर पूजा का मुहूर्त: शाम 06:13 बजे से रात 09:24 बजे तक
दूसरे प्रहर पूजा का मुहूर्त: रात 09:24 बजे से देर रात 12:35 बजे तक
तीसरे प्रहर पूजा का मुहूर्त: देर रात 12:35 बजे से अगली सुबह 03:46 बजे तक
चौथे प्रहर पूजा का मुहूर्त: 19 फरवरी 2023 सुबह 03:46 बजे से 06:56 बजे तक

महाशिवरात्रि पूजा में इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्री

ज्योतिषशास्त्र अनुसार, चार प्रहर की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप, दुख, दर्द दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को धर्म, अर्थ काम और मोक्ष प्राप्त होता है। बता दें, भोलेनाथ के चार प्रहर की पूजा प्रदोषवेला से शुरू अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक होती है।

. पहले प्रहर की पूजा शिव जी के ईशान स्वरूप के दूध से अभिषेक करके की जाती है।
. दूसरे प्रहर की पूजा दही से अघोर संदर्भ में की जाती है।
. तीसरे प्रहर की पूजा घी से वामदेव रूप को मन में धारकर की जाती है।
. चौथे प्रहर की पूजा शहद से सद्योजात स्वरूप को अभिषेक कर संकल्प लिया जाता है।

अगर कोई चारों प्रहर की पूजा नहीं कर सकता है तो पहले प्रहर में ही सारी सामग्री चढ़ाकर शिव जी से प्रार्थना करें। इसके साथ दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें और हो सके तो रात्रि में जागरण करें। अगले दिन मंदिर जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करके ब्राह्मणों को जरूरत अनुसार दक्षिणा देकर व्रत पूरा करें। इसके बाद अन्न ग्रहण करें।

 

spot_img