दिल्ली (TES): अभी 2023 की शुरूआत हुई है। ऐसे में चुनाव होने में अभी 1 साल बाकी है। मगर भारतीय जनता पार्टी ने बैठकों, रणनीति बनाने का काम शुरू भी कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा सरकार से संगठन तक बड़े बदलाव करने की तैयारी में जुट गई है। हालांकि अभी पार्टी को 2023 में कुल 9 राज्यों में विधानसभा का चुनाव लड़ा होगा।
एक ओर सरकार का कहना है कि पीएम मोदी की मंत्रियों की टीम में भी बदलाव आ सकता है। बता दें, पीएम मोदी मुख्य 3 कारणों से अपनी टीम में बदलाव ला सकते हैं जिनमें संगठन और मंत्री परिषद में जातीय समीकरण संभालना, प्रदर्शन नहीं करने वालों बाहर निकालना, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट के नेताओं को गुट का हिस्सा बनाना आदि शामिल हैं। मोदी जी अपने मंंत्रियों के प्रदर्शन की लगातार समीक्षा में जुटे हैं।
एक नेता का कहना है कि सरकार और संगठन स्तर पर फेरबदल में जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभाती है। इसके साथ ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के हुए चुनाव में भीजेपी के प्रदर्शन को देखा जाएगा।
संगठन तैयार होने की संभावना
कहा जा रहा है कि बीजेपी ने पहले से ही संगठन स्तर पर ‘विस्तारकों’ की फौज बना ली है। ये करीब 160 उन संसदीय क्षेत्रों में जाएगी जहां से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। सरकार को वहीं से वापसी करने की उम्मीद है। इसके अलावा इनमें से 9 उन राज्यों की संसदीय सीटें भी रहेगी जो अगले साल यानी 2024 में चुनाव लड़ेंगे।
बता दें, भाजपा ने 140 सीटों की लिस्ट तैयार कर थी, मगर अब उसमें नाम और शामिल कर दिए है। दूसरी ओर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित राज्यों का जनवरी में दौरा करने जाएंगे।
तैयारियों में शामिल ये लोग
मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी में बड़े पदों के दायरे कम होने पर ब्राह्मण समुदाय नाखुश नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस समुदाय को संभालने में बीजेपी सरकार कई प्रयास कर रही है। दूसरी ओर पार्टी बिहार में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस से जनता दल यूनाइटेड के बाहर निकले की बात हुई है। साथ ही कर्नाटक में लिंगायत-वोकलिगा और महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी सरकार ध्यान देगी।
मंत्रियों को मिल पाएंगे पार्टी के काम
बताया जा रहा है कि चुनावी राज्यों में मंत्रियों को पार्टी के काम करने की ड्यूटी मिल सकती है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में ओबीसी और आदिवासी समुदाय को पार्टी और सरकार में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलने की आशंका जताई है।