

Shani Margi 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय शनि देव मकर राशि (Makar Rashi) में गोचर अवस्था में मौजूद हैं. शनि देव (Shani Dev) बहुत जल्द मार्गी होने जा रहे हैं. शनि देव 12 जुलाई, 2022 से वक्री अवस्था में विचरण कर रहे हैं. ज्योतिष (Astrology) की गणना के मुताबिक शनि देव 23 अक्टूबर को मार्गी हो जाएंगे.
शनि देव के मार्गी (Shani Margi Date) होने से जहां कुछ राशियों के मुश्किल खड़ी होगी, वहीं कुछ राशियों को शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती (Shani Dhaiya and Sadhesati) से मुक्ति मिल सकती है. आइए ज्योतिषीय गणना के मुताबिक जानते हैं शनि का वक्री से मार्गी होना किन राशयों के लिए शुभ साबित होगा. साथ भी शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा.
साढ़ेसाती वालों को कब मिलेगा छुटकारा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि मार्गी होंगे तो शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से प्रभावित जातकों को राहत मिल सकती है. दरअसल इस समय कुंभ, मकर और धनु राशि के जातक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है. कुंभ राशि पर 24 जनवरी 2022 को शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई थी.
इस राशि से शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव 3 जून, 2027 को खत्म होगा. इसके अलावा इस राशि पर शनि की महादशा भी चल रही है. ऐसे में शनि की महादशा से 2028 में छुटकारा मिलेगा. वहीं मकर राशि पर शनि की साढ़साती 26 जनवरी 2017 से शुरू हुई थी, जो कि 29 मार्च 2025 को खत्म होगी.
इन राशियों पर चल रही है शनि की ढैय्या
शनि देव इस वक्त मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. ऐसे में यहां शश नामक महापुरुष राजयोग बना हुआ है. शनि देव ढाई साल तक किसी एक ही राशि में विराजमान रहते हैं. इसके बाद ही अगली राशि में प्रवेश करते हैं. शनि की ढाई साल की गोचर अवधि शनि की ढैय्या कहलाती है. इस समय तुला और मिथुन राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है.
शनि से पीड़ित जातक क्या कर सकते हैं उपाय
-शनि के प्रकोप या अशुभ अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन काला तिल और सरसों का तेल शनि महाराज को अर्पित करें. ऊँ शं शनैश्चराय नमः का रुद्राक्ष की माला पर 108 बार जाप करें.
-शनिवार को सामर्थ्य के अनुसार काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, लोहे के बर्तन, उदड़ की दाल का दान करें, मान्यता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं.
-शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल को जल अर्पित करें. इसके साथ ही सात परिक्रमा करें. उसी दिन शाम को पीपल की जड़ में सरसों का दीपक जलाएं.