Wednesday, April 30, 2025
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Oxfam: देश के 1 फीसदी अमीरों की संपत्ति में हुआ इतनी बढ़ौतरी, जानें अमीरी-गरीबी से जुड़ी 10 अहम बातें

देश (TES): विश्वभर में असमानता और गरीबी लोगों का विश्लेषण करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ओक्सफैम एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, विश्वभर में सबसे अधिक गरीबी भारत देश में हैं। देशभर में करीब 70 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सुविधाओं और पौष्टिक आहार की कमी को जूझ रहे हैं। भारत देश के करीब 1.7 करोड़ लोग अच्छा व पौष्टिक भोजन ना मिलने के कारण अलग-अलग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। चलिए आज हम आपको ओक्सफैम द्वारा जारी की रिपोर्ट्स से करीब 10 पावइंट्स के जरिए ये बात विस्तार से समझाते हैं।

सबसे पहले जानते हैं आखिर ओक्सफैम है क्या?

बता दें, ओक्सफैम एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका आयोजन साल 1942 में हुआ था। इस संस्था का उद्देश्य विश्वभर के लोगों को असमानता और आर्थिक संकट से बचाना है। बता दें, ये संस्था हर साल विश्वभर में अमीरी और गरीबी का विश्लेषण करके आंकड़ा बताती है। ऐसे में आज में इसके बारे में आपको विस्तार से बताएंगे।

केवल 1 प्रतिशत अमीरों के पास देश की 40 प्रतिशत से अधिक संपत्ति

ओक्सफैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत देश के केवल 1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास संपत्ति का कुल 40.5 प्रतिशत हिस्सा है। बता दें, देश के करीब 21 सबसे अमीर लोगों के पास भारत के करीब 70 करोड़ लोगों से अधिक जायदाद है। बाकी के 50 फीसदी लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का केवल 3 फीसदी भाग ही है।

अरबपतियों हर 1 मिनट में करीब 2.5 करोड़ रुपए कमा रहे थे

रिपोर्ट अनुसार, कोरोना के समय जहां देश भूखमरी का शिकार हो रहा था। उस समय देश के अमीरों को सबसे अधिक फायदा हुआ। मौजूद आंकड़ों को देखे तो उस समय देश के सबसे अमीर लोगों की दौलत में करीब 121 फीसदी का मुनाफा हुआ। वे हर मिनट करीब 2.5 करोड़ रुपए कमा रहे थे। बता दें, देश के अरबपतियों में गिने जाने वाले गौतम अडाणी की संपत्ति में कुल 40 फीसदी का बढ़ावा हुआ।

कोरोनाकाल में 62 प्रतिशत अरबपति बने

कोरोना के समय में अमीरों की गिनती में बहुत बढ़ावा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, उस दौरान देश में करीब 62.7451 प्रतिशत अरबपति बढ़े। साल 2020 तक यानि कोरोना आने से पहले देश में कुल 101 अरबपति थे। मगर साल 2022 तक ये संख्या बढ़कर 166 पहुंच गई। मिली जानकारी के अनुसार, हेल्थ केयर और फार्मा सेक्टर में 7 नए अरबपति शामिल होने से इनकी संख्या बढ़कर 32 हो गई। वहीं मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में करीब 31 अरबपति है।

विश्वभर में सबसे अधिक भारत में गरीबी

मिली जानकारी के मुताबिक, विश्वभर में भारत देश में सबसे अधिक गरीबी है। यहां पर करीब 22.89 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं।

अरबपतियों पर टैक्स बढ़ाने से देश के आम लोगों को होगा लाभ

रिपोर्ट के अनुसार, अरबपति की आमदनी पर 20 प्रतिशत टैक्स लगाने से देश के लोगों को करीब 1.8 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है। इससे प्राथमिक विद्यालयों में 50 लाख अध्यापकों को रोजगार मिल सकता है। दूसरी ओर देश के टॉप 10 अमीरों को 5 प्रतिशत टैक्स लगाने से देश के सभी बच्चे पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा देश के सभी अमीरों की टैक्स में 2 प्रतिशत बढ़ाने से भारत अगले 3 वर्ष तक कुषोपण का शिकार हुए बच्चों के लिए करीब 40,423 करोड़ रुपए जमा कर सकता है।

महिला श्रमिकों की आमदनी कम

आंकड़ों के अनुसार, देश में महिला श्रमिकों को कम पैसे मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी काम के लिए अगर पुरुष को 1 रुपए मिलता है तो महिला को उसी काम के लिए केवल 63 पैसे मिलते हैं, जो की गलत है। वहीं एससी-एसटी और ग्रामीण श्रमिकों में येे अंतर और भी अधिक है।

कॉरपोरेट टैक्स में छूट से उद्योगपतियों को फायदा

साल 2019 में भारत सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में छूट देने का फैसला किया था। इसके कारण उद्योगपतियों को साल 2021 में 1,03,285 करोड़ रुपए का मुनाफा भी हुआ था।

अमीरों को टैक्स में छूट मगर गरीबों पर बोझ अधिक

बता दें, बीते 40 सालों तक वैश्विक स्तर पर अमीरों को टैक्ट देने में छूट मिली है। मगर इसके कारण गरीब लोगों पर अप्रत्यक्ष रूप से बोझ बढ़ गया। देशभर में नीचे की करीब 50 फीसदी आबादी ऊपर की करीब 10 फीसदी की तुलना में अपनी इनकम का करीब 6 गुना अप्रत्यक्ष करों में दे रही है।

बता दें, साल 2021-22 में जीएसटी के तौर पर मिले 14.83 लाख करोड़ रुपए का करीब 64 फीसदी भाग नीचे की करीब 50 प्रतिशत लोगों से लिया गया। इसके विपरित देश के टॉप 10 अमीरों से सिर्फ 3 प्रतिशत जीएसटी का भाग ही लिया गया, जो सही नहीं है।

गरीबों से जबरन कर्ज लिया गया जबकि अमीरों को इससे राहत

ओक्सफैम का कहना है कि भारत देश में बैंक कर्ज को लेकर भी असमानता पाई गई है। यहां पर गरीबों से जबरन कर्ज लिया जाता है। इसके विपरित कॉरपोरेट क्षेत्रों को दिए 11 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को देने के लिए सार्वजनिक बैंकों ने उन्हें राहत दे दी।

10 गरीब लोगों में हो रहा बढ़ावा

ऑक्सफैम एक रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में गरीबों की गिनती में निरंतर इजाफा हो रहा है। बता दें, भूखे लोगों की संख्या साल 2018 में करीब 19 करोड़ रुपए थी। इसमें इजाफा होकर साल 2022 में 35 करोड़ तक पहुंच गया। बताया जा रहा है कि साल 2022 में 5 वर्ष से कम करीब 65 फीसदी बच्चों ने भूख के कारण अपनी जान गवां दी, जो अपने आप में ही शर्म की बात है।

 

 

 

 

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