Sunday, June 8, 2025
HomeLatest23 या 24... कब किया जाएगा तुलसी विवाह? जानें...

23 या 24… कब किया जाएगा तुलसी विवाह? जानें सही डेट से लेकर शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह हिंदू संस्कृति में धार्मिक महत्व रखता है। यह देवी वृंदा और भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु का एक रूप) के बीच विवाह का प्रतीक है। बहुत से लोग तुलसी विवाह रचाते हैं, ताकि उनके घर में सुख-समृद्धि आए।

वहीं, कुछ लोग कन्यादान का पुण्य प्राप्त करने के लिए तुलसी विवाह करते हैं। बहुत से लोग इस बार तुलसी विवाह तिथि को लेकर कन्फ्यूज है। इस बीच चलिए आपको बताते हैं कि कब है तुलसी विवाह और पूजा मुहूर्त…

कब है तुलसी विवाह?

द्रिक पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को होता है। इस वर्ष, तुलसी विवाह 24 नवंबर, 2023 को मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि 23 नवंबर 2023, रात 09:01 बजे आरंभ होगी। 24 नवंबर 2023, शाम 07:06 बजे समाप्त होगी। विवाह का शुभ मुहूर्त 24 नवंबर सुबह 06:50 बजे से सुबह 10:48 बजे तक और दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक का है।

तुलसी विवाह का महत्व

माना जाता है कि वैवाहिक समस्याओं का सामना कर रहे जोड़ों को तुलसी विवाह करने से लाभ हो सकता है। इसके अलावा, जिनके कन्या संतान नहीं है वे देवी तुलसी को अपनी पुत्री मानकर कन्यादान करते हैं।

तुलसी विवाह की पौराणिक कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जलंधर नामक राक्षस अपनी पत्नी वृंदा की अटूट भक्ति और चरित्र के कारण अजेय था। जब तक वृंदा पतिव्रता रही तब तक उसे कोई भी देवता पराजित ना कर सका। भगवान विष्णु द्वारा रचित एक नाटक में वृंदा का चरित्र भंग हो गया, जिससे जलंधर की मृत्यु हो गई। परिणामस्वरूप, वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप देकर उन्हें शालिग्राम नामक पत्थर में बदल दिया।

इसके बाद देवी लक्ष्मी ने वृंदा से श्राप हटाने का अनुरोध किया। वृंदा ने उनकी इच्छा पूरी की लेकिन अपनी जान दे दी। उनकी भक्ति को देखते हुए भगवान विष्णु ने उन्हें तुलसी का पौधा बनने का आशीर्वाद दिया। तब से, दुनिया भर में हिंदू इस दिव्य मिलन का सम्मान करने के लिए शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह मनाते हैं।

तुलसी विवाह पूजा व अनुष्ठान

-सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर भगवान शालिग्राम व देवी तुलसी के विवाह के लिए सजावट करें और भोग प्रसाद तैयार करें। बहुत से भक्त शाम तक व्रत रखते हैं।

-तुलसी के पौधे को साड़ी, दुपट्टे और अन्य सामान के साथ दुल्हन की तरह सजाएं। भगवान शालिग्राम को गंगाजल और पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद पीले वस्त्र से श्रृंगार करें। फिर दोनों को फूल-माला चढ़ाएं और देसी घी का दीया जलाएं।

-भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी का लाल और पीले धागे से पवित्र गठबंधन करें। इसके बाद उन्हें सात्विक भोजन अर्पित करें। इस शुभ अवसर पर कीर्तन और भजन भी करें। आखिर में देवी तुलसी और भगवान विष्णु की आरती की जाती है।

-सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद प्रसाद को परिवार के सदस्यों के बीच वितरित किया जाता है।

इस मंत्र का करें जाप

“जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधी व्याधि हर नित्यं तुसलि त्वं नमोस्तुते..!!”

spot_img